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छत्तीसगढ़ के 184 नगरीय निकायों में बिजली बिल और एनर्जी ऑडिट शुरू किया गया है। सरकार ने पारंपरिक ऊर्जा की जगह सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का फैसला किया है, जिससे लंबी अवधि में 800 करोड़ से 1000 करोड़ रुपए तक की बचत हो सकती है।
बिजली बिल में होगी बचत
अभी कई निकाय पैसे की कमी के कारण समय पर बिजली बिल नहीं चुका पाते, जिससे सरचार्ज और बकाया राशि बढ़ जाती है। एनर्जी ऑडिट से बिजली की बर्बादी को रोकने और खर्च घटाने में मदद मिलेगी।
ग्रीन एनर्जी को मिलेगा बढ़ावा
सरकार पर्यावरण सुधारने और खर्च कम करने के लिए ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा दे रही है। इससे निकायों को कार्बन क्रेडिट मिलेगा और बिजली खर्च भी घटेगा।
हर साल 100-200 करोड़ रुपए खर्च होते हैं
नगरीय प्रशासन विभाग हर साल बिजली बिल के लिए 100 से 200 करोड़ रुपए खर्च करता है। फिलहाल, 800 करोड़ रुपए का भुगतान बकाया है, जिससे सरचार्ज बढ़ता जा रहा है।
सौर ऊर्जा के लिए पायलट प्रोजेक्ट तैयार
सरकार नगरीय निकायों को ऊर्जा दक्ष बनाने के लिए एनर्जी ऑडिट और सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट शुरू कर रही है। इससे बिजली की असली खपत का पता चलेगा और सौर ऊर्जा अपनाने से खर्च कम होगा।
क्या होंगे फायदे?
- बिजली बिल में बचत होगी।
- ग्रीन एनर्जी के उपयोग से पर्यावरण सुधरेगा।
- निकायों को कार्बन क्रेडिट मिलेगा।
- बिजली की खपत और अनियमितताओं की पहचान होगी।
- सौर ऊर्जा से बिजली के खर्च में भारी कमी आएगी।
सरकार का लक्ष्य है कि निकायों को ज्यादा ऊर्जा दक्ष बनाया जाए और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देकर खर्च घटाया जाए।