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बिलासपुर: बिलासपुर से 10 किलोमीटर दूर भरनी गांव में स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर 500 साल से अधिक पुराना है। यहां काले पत्थर से बना शिवलिंग स्थापित है। नि:संतान दंपति संतान प्राप्ति की कामना लेकर यहां आते हैं। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है।
मंदिर का इतिहास और रहस्य
- मंदिर के निर्माण को लेकर मान्यता है कि यह अर्धरात्रि में बना था और पहले यह घने जंगलों से घिरा हुआ था।
- समय के साथ इसका रंग काला पड़ गया, इसलिए इसे “करिया मंदिर” कहा जाने लगा।
- मंदिर में एक रहस्यमयी सुरंग है, जिसमें पानी भरने के बावजूद उसका स्तर नहीं बढ़ता।
- मंदिर परिसर में कभी नाग-नागिन का जोड़ा देखा गया था, जिसे मारने के बाद सरोवर का पानी लाल हो गया था। इस घटना के बाद से मंदिर की महिमा और अधिक प्रसिद्ध हो गई।
महाशिवरात्रि पर विशेष आयोजन
- मध्यरात्रि 12 बजे विशेष पूजा होगी।
- मंदिर में हर सोमवार और त्योहारों पर शिवजी का विशेष श्रृंगार किया जाता है।
- महाशिवरात्रि के दिन मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और रात 12 बजे से ही श्रद्धालु कतार में लग जाते हैं।
- यह मंदिर अब छत्तीसगढ़ के बाहर भी प्रसिद्ध हो चुका है और दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं।
अन्य शिव मंदिरों में भी होंगे आयोजन
- शहर के अन्य शिव मंदिरों में भी पूजा-अर्चना और मेले आयोजित किए जाएंगे।
- महाकाल सेना द्वारा सीएमडी कॉलेज ग्राउंड में शाम 7 बजे से कार्यक्रम होगा।
- ब्रह्माकुमारी केंद्र तिफरा में 12 ज्योतिर्लिंग दर्शन की व्यवस्था की गई है।
- लक्की चंदन सेवा समिति द्वारा रुद्राभिषेक और रक्तदान शिविर आयोजित किया जाएगा।
- मोपका क्षेत्र में शिव बारात और पालकी यात्रा निकाली जाएगी।
कालेश्वर महादेव मंदिर की रहस्यमयी सुरंग और आस्था की मान्यताएं इसे एक विशेष स्थान बनाती हैं, जहां भक्तजन अपनी मनोकामना लेकर आते हैं।