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‘बस्तर पंडुम 2025’ का लोगो अनावरण, बस्तर की संस्कृति को मिलेगा नया मंच

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बुधवार को ‘बस्तर पंडुम 2025’ के लोगो का अनावरण किया। यह लोगो बस्तर की सांस्कृतिक पहचान और लोकजीवन को दर्शाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आयोजन बस्तर में शांति स्थापित करने और स्थानीय कलाकारों को मंच देने में अहम भूमिका निभाएगा।

बस्तर पंडुम: बस्तर का उत्सव

‘बस्तर पंडुम’ गोंडी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब बस्तर का उत्सव होता है।
✅ बस्तर के लोग जीवन को उत्सव की तरह जीते हैं और उनकी संस्कृति बेहद समृद्ध है।
✅ इस आयोजन के जरिए बस्तर की विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।

लोगो में क्या दर्शाया गया है?

🎨 बस्तर के जीवन और सांस्कृतिक पहचान को कलात्मक तरीके से दिखाया गया है।
💧 इंद्रावती नदी और चित्रकूट जलप्रपात को शामिल किया गया है, जो बस्तर की जीवनरेखा हैं।
🐃 वन भैंसा (छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु) और पहाड़ी मैना (राजकीय पक्षी) का चित्रण किया गया है।
🥁 बायसन हॉर्न मुकुट, तुरही, ढोल, सल्फी और ताड़ी के पेड़ को भी प्रतीक चिन्ह में जगह दी गई है।

मुख्यमंत्री का संदेश

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘बस्तर पंडुम 2025’ से बस्तर के कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा। यह आयोजन बस्तर की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को सहेजने में मदद करेगा। इस मौके पर ‘बस्तर पंडुम’ बुकलेट का विमोचन भी किया गया।

इस आयोजन से बस्तर के लोगों को अपनी संस्कृति पर गर्व महसूस होगा, और यह देशभर में बस्तर की अनूठी पहचान बनाने में मदद करेगा।

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