सवाई माधोपुर। राजस्थान में भारी बारिश से कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। दौसा और सवाई माधोपुर जिलों के मित्रपुरा तहसील क्षेत्र में बहने वाली मोरेल नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इस बढ़ते जलस्तर के कारण एशिया का सबसे बड़ा कच्चा मोरेल बांध पूरी तरह से भर गया है और अब ओवरफ्लो हो रहा है। बांध पर तीन से चार इंच की चादर चल रही है और इसके पानी ने आसपास के गांवों को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है।
इस स्थिति के चलते कोटा रेल मंडल के सवाई माधोपुर के पास नारायणपुर टटवाड़ा और मलारना स्टेशनों के बीच रेलवे ट्रैक पर खतरा मंडराने लगा है। कोटा मंडल रेल प्रशासन ने इसे देखते हुए रेड अलर्ट जारी कर दिया है।
रेलवे विभाग की 24 घंटे निगरानी
खतरे की गंभीरता को देखते हुए रेलवे ने इस इलाके की 24 घंटे निगरानी शुरू कर दी है। रेलवे अधिकारी लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और गश्त जारी है। बुधवार को अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और कहा कि फिलहाल कोई तत्काल खतरा नहीं है, लेकिन एहतियात बरती जा रही है। अगर बांध टूटता है, तो रेलवे ट्रैक को भारी नुकसान हो सकता है।
कई गांवों में बाढ़ का खतरा
1952 में बना मोरेल बांध एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध है, जिसकी भराव क्षमता 32 फीट है। फिलहाल इसमें 31 फीट पानी भर चुका है और जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। कानोता डेम पहले ही ओवरफ्लो होकर खतरे के निशान पर है, और चाकसू डेम टूट चुका है। अगर कानोता डेम भी टूट जाता है, तो इसका सारा पानी मोरेल बांध में आएगा, जिससे यह भी टूट सकता है और आसपास के कई गांवों में बाढ़ का खतरा पैदा हो सकता है।
1981 में टूट चुका है मोरेल बांध
मोरेल बांध को दौसा और सवाई माधोपुर जिले के सैकड़ों गांवों के हजारों किसानों की लाइफलाइन माना जाता है। करीब 45 साल पहले, 1981 में, यह बांध टूट चुका है, जिससे रेलवे को भी भारी नुकसान हुआ था। इससे पहले यह बांध 2019 और 1997 में भी ओवरफ्लो हो चुका है।