जैसलमेर के सरहदी इलाकों में हर साल दुर्लभ गिद्धों की विभिन्न प्रजातियां प्रवास करती हैं। अगले 15 दिनों के भीतर ये गिद्ध हिमालय पार के क्षेत्रों से जैसलमेर पहुंचेंगे। ये गिद्ध लगभग 5000 किलोमीटर की दूरी तय कर यहां आते हैं और 4-5 महीने तक जैसलमेर के ठंडे मौसम में रहते हैं।
गिद्धों की प्रजातियां और प्रवास
यहां आने वाले गिद्ध मध्य एशिया, यूरोप और तिब्बत जैसे ठंडे क्षेत्रों से आते हैं। अक्टूबर के अंत से नवंबर की शुरुआत में इन गिद्धों का पहला समूह जैसलमेर पहुंचता है। फरवरी तक का समय इनके लिए जैसलमेर का मौसम अनुकूल रहता है। ये गिद्ध उन इलाकों में रुकते हैं, जहां उन्हें आसानी से भोजन मिल सके। जैसलमेर के ओढ़ाणिया, लाठी, भादरिया, लोहटा और खेतोलाई गांव इनके प्रमुख ठिकाने होते हैं, क्योंकि यहां मृत पशु और अन्य प्राकृतिक भोजन आसानी से मिल जाता है।
स्थानीय गिद्धों की उपस्थिति
जैसलमेर के सरहदी क्षेत्रों में ग्रिफान, सिनेरियस, यूरेशियन और इजिप्शियन गिद्धों के साथ-साथ सफेद पीठ वाले गिद्ध, भारतीय गिद्ध और लाल सिर वाले गिद्ध भी आते हैं। ये स्थानीय गिद्ध प्रजातियां संकटग्रस्त मानी जाती हैं और इनके संरक्षण की जरूरत है।
पर्यटन से जुड़ाव
जैसलमेर धीरे-धीरे बर्ड वॉचिंग पर्यटन का भी केंद्र बनता जा रहा है। जैसे खींचन में कुर्जां पक्षियों के लिए विशेष तालाब और छतरियां बनाई गई हैं, वैसे ही जैसलमेर में गिद्धों के संरक्षण के साथ-साथ इसे पर्यटन से जोड़ा जा सकता है। भादरिया क्षेत्र में कुछ गिद्धों की स्थायी देखभाल की जा रही है और सर्दियों के दौरान इनकी संख्या बढ़ने की उम्मीद है।
वन्यजीव प्रेमियों की उत्सुकता
अभी तक जैसलमेर में गिद्धों की आवक नहीं हुई है, लेकिन वन्यजीव प्रेमी इनके आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अक्टूबर के दूसरे सप्ताह के बाद गिद्धों का आना शुरू होगा, जिनमें सात प्रमुख प्रजातियों के गिद्ध शामिल होंगे।