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भीलवाड़ा समाचार: सरसों की बुवाई में तेजी, अब तक 8 हजार हेक्टेयर में हुई बुवाई

भीलवाड़ा। सरसों की बुवाई का समय चल रहा है। पिछले कुछ दिनों से तेज धूप के कारण किसान बुवाई नहीं कर पा रहे थे, लेकिन अब मौसम में बदलाव आया है। तापमान में गिरावट से किसानों ने बुवाई का काम तेज कर दिया है। अब तक जिले में 8 हजार हेक्टेयर में सरसों और 1500 हेक्टेयर में चने की बुवाई हो चुकी है।

किसानों ने बताया कि तेज धूप के कारण जमीन में नमी कम हो रही थी, जिससे बीज खराब होने का डर था। अक्टूबर का महीना सरसों की बुवाई के लिए सबसे उचित समय माना जाता है। चार दिन पहले मौसम के अनुकूल हो जाने से बुवाई में तेजी आई है। कुछ इलाकों में हल्की बारिश और अंधड़ ने भी मदद की है।

गौरतलब है कि सरसों की बिजाई के लिए अधिकतम तापमान 30 डिग्री होना चाहिए। पिछले कुछ दिनों से तापमान 35 डिग्री से अधिक था, लेकिन अब तापमान में गिरावट आने से बुवाई का काम तेजी से हो रहा है। इस बार अच्छी बारिश के चलते रबी की फसल के बेहतर होने की संभावना है। किसानों ने पहले ही खेतों की जुताई कर तैयारी कर रखी थी और अब तापमान में गिरावट आने पर बीज डालना शुरू कर दिया है।

तापमान गिरने में देरी होती तो नुकसान
किसानों का कहना है कि यदि तापमान में जल्द गिरावट नहीं आती तो सरसों की बुवाई में देरी हो जाती, जिससे फसल में चेपा लगने और पाले का खतरा रहता। खरीफ की फसल में अत्यधिक बारिश से तिल और दलहन को नुकसान पहुंचा था, जिसे देखते हुए किसानों ने सरसों की फसल से भरपाई की उम्मीद की है। इसके लिए खेतों में नमी बनाए रखने के लिए पहले से तैयारी कर रखी थी, लेकिन मौसम के अस्थिर होने के कारण बुवाई में देरी हो रही थी। कृषि विभाग के उप निदेशक गोपाल लाल कुमावत ने बताया कि जिले में बुधवार को करीब 675 टन खाद आने से किसानों को राहत मिलेगी और बुवाई में तेजी आएगी।

फसल का रकबा बढ़ाया गया
कृषि विभाग ने इस वर्ष गेहूं, चना और सरसों का रकबा बढ़ाया है। अच्छे मानसून के कारण रबी की फसल में बेहतर उत्पादन की संभावना है। गेहूं और चने का रकबा 5-5 हजार हेक्टेयर और सरसों के लिए 7 हजार हेक्टेयर अधिक रखा गया है।

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