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महाराष्ट्र में गठबंधन की राजनीति पर दबाव, पहली बार ऐसी चुनौती

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। राज्य के चुनावी इतिहास में पहली बार छह बड़े राजनीतिक दल दो प्रमुख गठबंधनों—महायुति और महाविकास अघाड़ी (एमवीए)—के तहत चुनाव लड़ रहे हैं। इन गठबंधनों में शिवसेना और एनसीपी के अलग-अलग धड़े भी शामिल हैं।

नासिक रोड के आसपास चुनावी माहौल जानने के दौरान वहां के निवासियों से बात की गई। कई लोगों ने कहा कि पिछले तीन साल में भाजपा ने पहले शिवसेना और फिर एनसीपी को तोड़कर राज्य की राजनीति को बहुत जटिल बना दिया है, जिससे चुनाव का परिणाम अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है।

गठबंधन में दबाव:
इस चुनाव में दोनों गठबंधन अपने-अपने प्रत्याशियों को जिताने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इनमें परस्पर दबाव भी है। हर दल को अपने प्रदर्शन में अच्छा दिखाने का दबाव है क्योंकि अगर उनके सहयोगी दलों ने उनसे अच्छा प्रदर्शन किया, तो उन्हें नुकसान हो सकता है।

महिला वोटर्स को लुभाने की होड़:
महायुति ने लाड़ली बहना योजना के तहत महिलाओं को मासिक सहायता बढ़ाकर 2100 रुपए करने का ऐलान किया है, जबकि एमवीए ने महिलाओं को 3000 रुपए देने का वादा किया है। इसे लेकर दोनों गठबंधन में महिलाओं को आकर्षित करने की होड़ मची हुई है।

नासिक जिले की हॉट सीट्स:

  • देवलाली: यहां महायुति का गठबंधन बिखर गया है। एनसीपी (अजित गुट) को पहले यह सीट दी गई थी, लेकिन शिवसेना (शिंदे गुट) ने भी अपना प्रत्याशी उतार दिया। अब एमवीए के शिवसेना (यूबीटी) का प्रत्याशी मैदान में है।
  • मालेगांव सेन्ट्रल: इस सीट पर सभी 13 प्रत्याशी मुस्लिम हैं, और मुकाबला कड़ा हो गया है। एआइएमआइएम, कांग्रेस और सपा के बीच यहां चुनावी संघर्ष है।
  • येवला: इस सीट पर एनसीपी के छगन भुजबल और एनसीपी (शरद पवार गुट) के माणिकराव शिंदे के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है।

इस चुनाव में राज्य की राजनीति में बदलाव की संभावना है, और दोनों गठबंधनों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है।

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