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धरती को प्लास्टिक के नुकसान से बचाने के लिए बायो फाइबर का उपयोग बढ़ रहा है। इसका इस्तेमाल कपड़े, वेट वाइप्स और पीरियड प्रोडक्ट्स में किया जा रहा है। लेकिन, वैज्ञानिकों के अनुसार, ये बायो फाइबर भी पर्यावरण के लिए हानिकारक साबित हो रहे हैं। इन फाइबर्स से माइक्रोफाइबर निकलते हैं, जो हवा में उड़कर मिट्टी और पानी में मिल जाते हैं और जीव-जंतुओं पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं।
केंचुओं पर असर का परीक्षण
शोध में पाया गया कि पारंपरिक पॉलिएस्टर और जैव-आधारित फाइबर जैसे विस्कोस और लियोसेल का केंचुओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। पॉलिएस्टर के संपर्क में आने पर 72 घंटों में 30% केंचुए मर गए, जबकि लियोसेल से 60% और विस्कोस से 80% केंचुओं की मृत्यु हो गई।
वैश्विक प्लास्टिक संधि वार्ता
इस शोध के नतीजे संयुक्त राष्ट्र की आगामी प्लास्टिक संधि वार्ता से कुछ ही समय पहले आए हैं, जो दक्षिण कोरिया के बुसान में होने वाली है। यह अध्ययन प्लास्टिक के विकल्पों के परीक्षण की जरूरत को दर्शाता है।
उपयोग से पहले परीक्षण आवश्यक
वर्ष 2022 में 3,20,000 टन से अधिक जैव-आधारित फाइबर का उत्पादन हुआ, जिनका बड़ा हिस्सा पर्यावरण में मिल सकता है। शोधकर्ता डॉ. विन्नी कोर्टेन-जोन्स के अनुसार, इन उत्पादों को बढ़ावा देने से पहले इनके प्रभाव को अच्छी तरह से समझने की जरूरत है।