झांसी रेल मंडल में सातवीं पीढ़ी के नए WAG-7 इंजन का इस्तेमाल शुरू हो गया है, जो झांसी में भेल के कारखाने में बने हैं। इन इंजनों में नई तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे ब्रेक लगाने पर बिजली पैदा होती है, जिसे इंजन में फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है।
बिजली की बड़ी बचत झांसी रेल मंडल ने अक्टूबर 2024 में नए थ्री-फेज इंजनों के उपयोग से 66 लाख 92 हजार 713 यूनिट बिजली की बचत की है, जिससे रेलवे का लगभग 3.74 करोड़ रुपये का राजस्व बचा है। इन इंजनों में री-जनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक है, जिससे ब्रेक लगने पर उत्पन्न ऊर्जा वापस इंजन को मिल जाती है, जिससे बिजली की खपत कम होती है।
थ्री-फेज इंजन की तकनीक कैसे काम करती है? नए थ्री-फेज इंजन में ब्रेक लगाने पर बिजली बनती है। इस तकनीक में ब्रेक लगाने पर एक जनरेटर चलता है, जो दोबारा बिजली बनाकर ग्रिड में भेजता है। झांसी मंडल में इस नई तकनीक का इस्तेमाल शुरू हो चुका है, जिससे रेल संचालन में मदद मिलेगी।
री-जनरेटिव एनर्जी सिस्टम के फायदे भेल द्वारा बनाए गए इन WAG-7 इंजनों में री-जनरेटिव एनर्जी सिस्टम है। इससे ब्रेक लगाने के दौरान उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग हो सकता है। इससे ब्रेक और पहियों पर कम घिसावट होगी और मरम्मत की जरूरत कम पड़ेगी। भेल के उपमहाप्रबंधक दिनेश परते ने बताया कि ये इंजन ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बनाए गए हैं, जिससे रेलवे का बिजली बिल भी कम होगा।