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जयपुर। जयपुर डिस्कॉम ने बिजली तंत्र के संचालन, मेंटेनेंस, बिलिंग और कलेक्शन जैसे कामों के लिए निजीकरण की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। अब 11 और 33 केवी क्षमता वाले सब स्टेशन निजी कंपनियों को सौंपे जाएंगे।
कौन-कौन से काम होंगे निजी हाथों में?
- ऑपरेशन और मेंटेनेंस
- बिलिंग और कलेक्शन
- सब स्टेशन पर सोलर प्लांट लगाने का काम
डिस्कॉम की योजना के तहत 1027 फीडर और 448 ग्रिड सब स्टेशन शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट की लागत 9261 करोड़ रुपए तय की गई है, और निजी कंपनियों को यह काम 10 साल के लिए सौंपा जाएगा।
किन जिलों में होगा निजीकरण?
बारां, भिवाड़ी, जयपुर ग्रामीण उत्तर, भरतपुर, झालावाड़, धौलपुर, कोटा, जयपुर ग्रामीण दक्षिण, बूंदी, गंगापुर सिटी, डीग, करौली, कोटपूतली और दूदू के सब स्टेशन इस योजना में शामिल हैं।
प्रोजेक्ट का मॉडल
- इस प्रोजेक्ट में हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल (HEM) अपनाया जाएगा।
- मीटरिंग, बिलिंग और कलेक्शन जैसे काम इसी मॉडल के तहत होंगे।
- ऑपरेशन और मेंटेनेंस के लिए एक तय अवधि तक सेवा ली जाएगी।
निजीकरण पर विरोध और दिक्कतें
- कर्मचारी संगठन इस निजीकरण का विरोध कर रहे हैं।
- पहले के कई मामलों में निजी कंपनियां बीच में ही काम छोड़ चुकी हैं, जिससे बिजली सप्लाई और बिलिंग में समस्याएं आई हैं।
बड़ी कंपनियों को मिलेगा मौका
- निविदा की शर्तें ऐसी हैं कि बड़ी कंपनियों के आने की संभावना अधिक है।
- एक जिले के काम की लागत ही 500 से 900 करोड़ रुपए तक है।
- कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाए हैं कि कुछ नामी कंपनियों के साथ सांठगांठ की गई है।
क्या रहेगा फोकस?
- घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं के फीडर को अलग किया जाएगा।
- परियोजना पर एनएचएआई मॉडल का प्रभाव होगा, जिसे पहले बड़े अधिकारियों ने लागू किया था।