शहडोल जिला अस्पताल में आग से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हैं। झांसी मेडिकल कॉलेज में हुई आगजनी की घटना के बाद अस्पतालों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। शहडोल जिला अस्पताल में एसएनसीयू और पीआइसीयू जैसे संवेदनशील वार्डों में भी फायर सेफ्टी के इंतजाम सही नहीं हैं।
अस्पताल में मेटरनिटी वार्ड, एसएनसीयू और पीआइसीयू एक ही बिल्डिंग में स्थित हैं। यहां आग से बचाव के लिए कुछ अग्निशामक सिलेंडर लगाए गए हैं, लेकिन इनकी संख्या और आकार फायर नियमों के मुताबिक नहीं हैं। अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में फायर सिलेंडर नहीं रखे गए हैं और कुशल फायर मैन की भी कमी है, जो संभावित आगजनी की स्थिति में मदद कर सके।
अस्पताल प्रशासन ने 28 अगस्त 2024 को फायर प्लान के लिए आवेदन किया था और इसका टेंडर करीब 70 लाख रुपए का हुआ है। हालांकि, अभी तक अस्पताल के पास फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट नहीं मिला है। अस्पताल में कुछ वार्डों में सिस्टम डिटेक्टर (स्मोक सेंसर) लगवाए गए हैं, लेकिन ये केवल कुछ वार्डों तक सीमित हैं।
फायर कंसल्टेंट सत्यम मिश्रा ने कहा कि अस्पतालों में आग से निपटने के लिए हर वार्ड में पर्याप्त फायर सिलेंडर और प्रशिक्षित फायर मैन होना चाहिए। इसके अलावा, समय-समय पर मॉकड्रिल भी होनी चाहिए। अस्पतालों में आग से बचाव के लिए पानी की स्प्रिंकलर प्रणाली, सायरन, स्मोक और हीट डिटेक्टर जैसी सुविधाएं जरूरी हैं।
सिविल सर्जन डॉ. जीएस परिहार ने बताया कि अस्पताल में फायर ऑडिट हो चुका है और हाल ही में एसएनसीयू और पीआइसीयू में मॉकड्रिल भी कराई गई है। फायर फाइटिंग सिस्टम से संबंधित कार्य चल रहे हैं।