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राजस्थान के शहरों में अब ग्रीन और क्लीन डवलपमेंट एक साथ होगा। इसमें स्वच्छता, हरियाली, ग्रीन बिल्डिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण, और स्वच्छ ऊर्जा (क्लीन एनर्जी) से जुड़े काम किए जाएंगे। इसके लिए संबंधित विभागों की एक टीम एक-दूसरे के प्रोजेक्ट्स में सहयोग करेगी। अगर एक विभाग का काम वातावरण को नुकसान पहुंचाता है या लोगों की दिनचर्या प्रभावित करता है, तो दूसरा विभाग मिलकर समाधान करेगा।
गौरतलब काम
इस योजना में निम्नलिखित काम शामिल हैं:
- स्वच्छता और हरियाली बढ़ाना
- ग्रीन बिल्डिंग बनाना
- इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना
- स्वच्छ ऊर्जा के स्रोतों का उपयोग करना
कार्बन उत्सर्जन पर नियंत्रण
राजस्थान में हर साल 110 से 115 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन होता है। इसके 34% का योगदान पावर प्लांट्स और 31% का परिवहन और निर्माण सेक्टर से है। इस उत्सर्जन को कम करने के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं।
साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता
बेतरतीब तरीके से हो रहे शहरीकरण के कारण जलवायु परिवर्तन की समस्याएं बढ़ रही हैं। इसलिए शहरी योजनाओं में ग्रीन और क्लीन इन्फ्रास्ट्रक्चर के काम में मिलकर काम करने की आवश्यकता है। विशेष रूप से लोगों के रहने योग्य और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ शहर बनाने के लिए यह जरूरी है।
अन्य महत्वपूर्ण कदम
- ज्यादा से ज्यादा घरों में रूफटॉप सोलर पैनल लगाना
- अवैध कटाई पर रोक लगाना
- दूषित जलाशयों में पानी का प्रवाह रोकना
- बंजर और ऊंचे क्षेत्रों में पौधे लगाना
- आम लोगों को पौधारोपण में शामिल करना
- अपशिष्ट का पृथक्करण और बायो-गैस प्रणाली का उपयोग
- ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था
आने वाले प्रोजेक्ट्स
- ग्रीन बिल्डिंग: ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट को बढ़ावा देने के लिए नगर निकायों में बिल्डरों को प्रोजेक्ट्स लाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
- उद्योग: बड़े उद्योगों को कार्बन क्रेडिट के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में भागीदारी बढ़ाने के लिए काम किया जाएगा।
- ग्रीन हाइड्रोजन: ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए 2000 किलो टन की क्षमता वाले प्लांट लगाए जाएंगे, जिसमें सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग होगा। इससे कार्बन फुट प्रिंट कम होगा।