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राज्यपाल ने की प्रो. इंद्र त्रिपाठी की नियुक्ति
शिवनी जिले के राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय को आखिरकार चौथा कुलगुरु मिल गया है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने प्रो. इंद्र प्रसाद त्रिपाठी को विश्वविद्यालय का कुलगुरु नियुक्त किया है। प्रो. त्रिपाठी महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट में विज्ञान एवं पर्यावरण संकाय के प्रोफेसर और अधिष्ठाता हैं।
पहले कुलगुरु से अब तक की स्थिति
विश्वविद्यालय की स्थापना अगस्त 2019 में हुई थी। पहले कुलगुरु प्रो. एमके श्रीवास्तव थे, लेकिन मार्च 2023 में प्रशासनिक अनियमितताओं के कारण उन्हें हटा दिया गया। इसके बाद रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कपिलदेव मिश्र को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई, जो चार महीने बाद मुक्त कर दिए गए। इसके बाद डॉ. लीला भलावी को जुलाई 2023 में कुलगुरु नियुक्त किया गया।
10 नवंबर को हुआ साक्षात्कार
कुलगुरु पद के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। 10 नवंबर को भोपाल में साक्षात्कार हुआ। सिवनी, छिंदवाड़ा और अन्य जिलों से कई प्रोफेसरों ने भाग लिया। तीन नामों को चयनित कर राज्यपाल को भेजा गया, जिनमें से प्रो. इंद्र प्रसाद त्रिपाठी का चयन किया गया।
अब तक 10 कुलसचिव बदले गए
विश्वविद्यालय अपनी शुरुआत से ही विवादों में रहा है। कार्यप्रणाली और प्रशासनिक कुप्रबंधन के कारण अब तक 10 कुलसचिव बदले जा चुके हैं। वर्तमान में डॉ. युवराज पाटिल 11वें कुलसचिव के रूप में कार्यरत हैं।
कुलगुरु के सामने बड़ी चुनौतियां
- भवन निर्माण के लिए बजट जुटाना: विश्वविद्यालय के पास अपना भवन नहीं है, और यह सबसे बड़ी चुनौती है।
- कर्मचारियों की कमी: विश्वविद्यालय में स्टाफ की भारी कमी है, और अभी तक आउटसोर्सिंग के माध्यम से काम चलाया जा रहा है।
- शैक्षणिक विस्तार: भवन और स्टाफ की उपलब्धता से ही संकायों और अन्य सुविधाओं का विस्तार संभव होगा।
आदिवासी विद्यार्थियों को मिलेगा लाभ
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय का नाम आदिवासी राजा के नाम पर रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस विश्वविद्यालय का नाम एक कार्यक्रम में ले चुके हैं। भवन बनने के बाद विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गतिविधियां बढ़ेंगी और सिवनी के छात्रों को उच्च शिक्षा के नए अवसर मिलेंगे।
नए कुलगुरु जल्द संभालेंगे कार्यभार
प्रो. त्रिपाठी दो से तीन दिन में चित्रकूट विश्वविद्यालय में अपनी जिम्मेदारी छोड़कर छिंदवाड़ा आकर कार्यभार संभालेंगे। उनसे उम्मीद है कि वे विश्वविद्यालय को नई दिशा देंगे और भवन निर्माण के लिए बजट सुनिश्चित करेंगे।