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सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों का इंतजार
भीलवाड़ा समेत पूरे राजस्थान में सरकारी स्कूलों के 56 लाख से अधिक विद्यार्थियों को अब तक निशुल्क यूनिफॉर्म नहीं मिल पाई है। सर्दियों के इस समय में बच्चों को यूनिफॉर्म की सख्त जरूरत है, लेकिन सरकारी योजना टेंडर प्रक्रिया में फंसी हुई है।
टेंडर प्रक्रिया में देरी
- चार नवंबर की तारीख बढ़ाई गई: यूनिफॉर्म के लिए तय टेंडर प्रक्रिया बार-बार आगे बढ़ रही है।
- 90 दिन का समय और लगेगा: टेंडर खुलने और कपड़े के नमूने जांचने के बाद भी आपूर्ति में करीब तीन महीने लगेंगे।
- टेंडर में भीलवाड़ा की भागीदारी: भीलवाड़ा की तीन कंपनियों सहित कुल 10 फर्मों ने इस प्रक्रिया में हिस्सा लिया है।
पिछली बार भी हुई देरी
- कपड़ा दिया, सिलाई नहीं: पिछले साल भी बच्चों को समय पर यूनिफॉर्म नहीं मिली थी। कपड़ा दे दिया गया, लेकिन सिलाई के लिए राशि समय पर नहीं मिली।
- देर से यूनिफॉर्म पहन सके बच्चे: कई बच्चों ने नवंबर-दिसंबर में अपने अभिभावकों की मदद से यूनिफॉर्म सिलवाई।
निशुल्क यूनिफॉर्म योजना
सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को निशुल्क यूनिफॉर्म योजना के तहत कपड़ा और सिलाई की राशि दी जाती है। राज्यभर के 56.68 लाख विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ मिलना था, लेकिन अभी तक केवल इंतजार हो रहा है।
टेंडर में शामिल कंपनियां
इस बार टेंडर में भीलवाड़ा की कंचन इंडिया, सुविधि रेयॉन्स, और संगम इंडिया के साथ मुंबई और अन्य राज्यों की कंपनियां जैसे नंदन डेनिम, अरविंद कॉटश्याम, मफतलाल इंडस्ट्रीज शामिल हुई हैं।
बच्चों और अभिभावकों की परेशानी
यूनिफॉर्म की देरी से बच्चों को ठंड के इस मौसम में परेशानी हो रही है। कई बच्चे अपनी पुरानी यूनिफॉर्म पहनकर या अपने स्तर पर नई सिलवाकर काम चला रहे हैं।
निष्कर्ष:
यूनिफॉर्म वितरण में लगातार हो रही देरी से बच्चों की पढ़ाई और सुविधा पर असर पड़ रहा है। सरकारी स्तर पर टेंडर प्रक्रिया में तेजी लाने की आवश्यकता है ताकि अगले सत्र तक यह समस्या न रहे।