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सिरपुर को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने के लिए बड़े प्रयास हो रहे हैं। जनवरी 2025 में नामांकन के लिए आवेदन करने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए जीआई सर्वे और वैज्ञानिक परीक्षण किए जा रहे हैं। जनवरी तक फाइनल रिपोर्ट तैयार कर एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) को भेजी जाएगी, जिसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।
डिजिटल युग में कदम
सिरपुर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण ने हाल ही में अपना लोगो और वेबसाइट तैयार किया है। यह कदम सिरपुर को वैश्विक स्तर पर जोड़ने और उसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक धरोहर को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने के लिए उठाया गया है। अब लोग सिरपुर का इतिहास और संस्कृति घर बैठे जान सकेंगे।
पिछले प्रयास और वर्तमान तैयारियां
2014 में भी सिरपुर को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की कोशिश की गई थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब 14 साल बाद दोबारा नामांकन की तैयारी की जा रही है। 11 सर्वे में से 8 पूरे हो चुके हैं, और 3 पर काम चल रहा है। इनमें दस्तावेज तैयार करना, कंसेप्ट नोट बनाना और जियो मैपिंग शामिल हैं।
वैज्ञानिक अध्ययन और आधुनिक तकनीक का उपयोग
सिरपुर के वैज्ञानिक परीक्षण पर विशेष जोर दिया जा रहा है। नासा और इसरो से सेटेलाइट डाटा खरीदा गया है ताकि जमीन में हो रही गतिविधियों का पता लगाया जा सके। इसके अलावा डाटा संग्रह, वीडियोग्राफी और सर्वे पर काम हो रहा है।
सिरपुर का ऐतिहासिक महत्व
सिरपुर महानदी के किनारे स्थित है और यह पांचवीं शताब्दी में राजा प्रवरदेव द्वारा बसाया गया था। यह दक्षिण कोसल की राजधानी था और श्रीपुर के नाम से जाना जाता था। यहां खुदाई में 12 बौद्ध विहार, 14 शिव मंदिर, 5 विष्णु मंदिर, 3 जैन विहार, एक बड़ा बाजार, स्वर्ण और कांसे की मूर्तियां, औजार, और शिलालेख मिले हैं।
टीले और छिपे रहस्य
सिरपुर के टीले अभी भी कई रहस्य समेटे हुए हैं। नए अध्ययनों से पता चला है कि यह क्षेत्र बाढ़ के कारण दब गया था, न कि भूकंप की वजह से। प्राचीन समय में यह नगर 13 किमी क्षेत्र में फैला हुआ था।
सिरपुर को विश्व धरोहर में शामिल करने के लिए जिला प्रशासन और सरकार को भी सक्रियता दिखानी होगी ताकि इसके ऐतिहासिक महत्व को संरक्षित किया जा सके।