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इस बार बीकानेर में मूंगफली की शानदार पैदावार हुई है, लेकिन फिर भी विदेशी बाजार में इसकी मांग कम है। व्यापारियों का कहना है कि भारतीय मूंगफली तेल की मांग आने वाले दिनों में बढ़ सकती है, लेकिन अभी तक सफेद मूंगफली की मांग उतनी नहीं बढ़ी जितनी की उम्मीद थी।
बीकानेर जिले में इस बार मूंगफली की बंपर पैदावार हुई है, जिससे मंडियों में बड़ी संख्या में मूंगफली पहुंच रही है। हालांकि, विदेशी मांग कमजोर रहने के कारण जिले से मूंगफली का निर्यात कम हो रहा है। पिछले सीजन के मुकाबले इस बार बीकानेर की मूंगफली की मांग विदेशों में कम देखी जा रही है, क्योंकि अन्य देशों में भी अच्छी पैदावार हुई है। इसके बावजूद, बीकानेर की मूंगफली की गुणवत्ता अच्छी होने से आर्थिक स्थिति पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है।
मूंगफली का निर्यात
बीकानेरी मूंगफली, जो सफेद और मोटी होती है, विदेशों में पसंद की जाती है, खासकर वियतनाम, चीन, इंडोनेशिया और पाकिस्तान में। अब तक अनुमानित 1.5 से 2 लाख टन मूंगफली का निर्यात हो चुका है, साथ ही 50 हजार टन तेल भी निर्यात किया गया है।
गत सीजन में निर्यात में कमी
पिछले सीजन में मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी के कारण मूंगफली में काली टिक्की आ गई थी, जिससे विदेशी व्यापारियों ने खरीदारी कम कर दी थी। इस बार 1.5 लाख टन मूंगफली का निर्यात हुआ है, जो पिछले साल के मुकाबले कम है।
बीकानेर का महत्व
राज्य में जितनी मूंगफली की पैदावार होती है, उसमें से 40% बीकानेर जिले में ही होती है। इस बार बीकानेर में करीब डेढ़ से दो करोड़ बोरी मूंगफली का उत्पादन हुआ है। बीकानेर के अलावा अन्य जिलों में भी मूंगफली उगाई जाती है, लेकिन बीकानेर की मूंगफली की अपनी पहचान है।
विदेशों में भी हुई पैदावार
विदेशों में भी इस साल मूंगफली की बंपर पैदावार हुई है, जिसकी वजह से निर्यात में कमी हो सकती है। हालांकि, बीकानेर में अच्छे मौसम और समय पर बरसात के कारण मूंगफली का उत्पादन अधिक हुआ है।