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एसिड ने छीन ली थीं आंखें, दो साल बाद प्लास्टिक की आंख से पढ़ी A, B, C, D…

भोपाल: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक 42 वर्षीय व्यक्ति की दोनों आंखें एसिड के हमले से पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थीं। करीब डेढ़ साल तक कई अस्पतालों में इलाज कराने के बावजूद उनकी रोशनी वापस नहीं आ पाई। अंत में, वह हमीदिया अस्पताल के नेत्र विभाग पहुंचे, जहां डॉक्टर्स ने उन्हें एक नई उम्मीद दी।

डॉ. भारती आहूजा की अगुवाई में की गई एक जटिल सर्जरी में इस व्यक्ति की आंखों में कृत्रिम कॉर्निया (आर्टिफिशियल कॉर्निया) लगाया गया। दो साल बाद, इस सर्जरी के सफल होने पर व्यक्ति ने A, B, C, D पढ़कर डॉक्टरों को चौंका दिया। इस सर्जरी को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में पहली बार की गई एक तरह की सर्जरी है।

सर्जरी की प्रक्रिया
यह सर्जरी केराटोप्रोस्थेसिस तकनीक से की गई, जो एक जटिल ऑपरेशन है। सबसे पहले मरीज की क्षतिग्रस्त कॉर्निया को हटाया गया और फिर कृत्रिम कॉर्निया के तीन हिस्सों को आंख में लगाया गया। सर्जरी में नेत्र विशेषज्ञ डॉ. एसएस कुबरे और डॉ. प्रतीक गुर्जर की अहम भूमिका रही। एक घंटे चली इस सर्जरी के बाद मरीज को देखने में सफलता मिली।

यह सर्जरी क्यों खास है
यह सर्जरी उन लोगों के लिए होती है जिनकी कॉर्निया ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सकता या जिनकी दोनों आंखों की रोशनी चली जाती है। यह प्रक्रिया महंगी होती है, क्योंकि कृत्रिम कॉर्निया की कीमत लाखों में होती है। हालांकि, हमीदिया अस्पताल ने एक भारतीय कंपनी से इसे मंगवाया और इस सर्जरी का खर्च केवल 10 हजार रुपये आया।

नेत्रदान की अहमियत
यह सर्जरी नेत्रदान पर निर्भर होती है, क्योंकि कृत्रिम कॉर्निया के साथ नेत्रदान में मिली कॉर्निया भी लगानी पड़ती है। डॉ. आहूजा का कहना है कि यह सर्जरी भविष्य में कई और लोगों को रोशनी लौटाने का एक नया रास्ता खोल सकती है।

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