जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के खिलाफ नारेबाजी, अपमानजनक भाषा और उनकी छवि खराब करने वाले होर्डिंग लगाने के आरोप में निलंबित सरकारी शिक्षक शंभूसिंह की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इसे अनुशासनहीनता का गंभीर मामला बताते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ऐसा असंयमित व्यवहार स्वीकार्य नहीं है।
शिक्षक की दलील
याचिकाकर्ता शंभूसिंह ने कोर्ट में दलील दी कि वह माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष हैं और उनकी सेवाओं को राज्य सरकार ने सराहा है। उनका नाम राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए भी प्रस्तावित किया गया था। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई बदले की भावना से की गई है।
कोर्ट का निर्णय
न्यायाधीश दिनेश मेहता की पीठ ने कहा कि शिक्षक का व्यवहार अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है।
- सरकारी कर्मचारी को अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन आधारहीन आरोप और अभद्र भाषा का प्रयोग अनुचित है।
- शिक्षक के होर्डिंग लगाने और अपमानजनक भाषा के उपयोग से विभागीय अनुशासन प्रभावित हुआ।
- ऐसी स्थिति में तत्काल कार्रवाई और जांच जरूरी है।
सरकार का पक्ष
राज्य सरकार ने कहा कि एक सरकारी कर्मचारी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह असंयमित और अभद्र व्यवहार करे। विभागीय अनुशासन बनाए रखना हर कर्मचारी का कर्तव्य है।
निष्कर्ष
हाईकोर्ट ने शिक्षक की याचिका खारिज करते हुए इसे अनुशासनहीनता का गंभीर मामला बताया और शिक्षक के खिलाफ विभागीय जांच की आवश्यकता जताई।