पाली पुलिस का यह नया प्रयास महिलाओं और बेटियों के लिए राहत भरा साबित हो रहा है। इस पहल के तहत महिला पुलिसकर्मियों की एक अलग विंग तैयार की गई है, जिसे “महिला बीट ऑफिसर” नाम दिया गया है।
कैसे कर रही हैं मदद?
महिलाओं को किसी कानूनी प्रक्रिया या बदनामी का सामना किए बिना ही उनकी समस्याओं का समाधान मिल रहा है। पिछले तीन महीनों में 50 से ज्यादा महिलाओं को शोषण और प्रताड़ना से राहत दिलाई गई है।
कैसे काम करती हैं महिला बीट ऑफिसर्स?
- महिला पुलिसकर्मियों को अलग-अलग इलाकों में बीट (क्षेत्र) आवंटित किया गया है।
- वे महिलाओं के साथ वॉट्सऐप ग्रुप और फोन कॉल के जरिए जुड़ी रहती हैं।
- कोई भी महिला अपनी परेशानी सीधे महिला बीट ऑफिसर को बता सकती है।
- पहले समझाइश से समाधान निकालने की कोशिश की जाती है, और जरूरत पड़ने पर कानूनी मदद ली जाती है।
केस स्टडी 1: व्हाट्सऐप पर परेशान कर रहा था लड़का
एक लड़की को एक अनजान लड़का व्हाट्सऐप पर बार-बार मैसेज और कॉल कर परेशान कर रहा था। वह तनाव में आ गई और परिवार को बताने से डर रही थी। उसने महिला बीट ऑफिसर से संपर्क किया, जिन्होंने लड़के को समझाया और समस्या हल हो गई।
केस स्टडी 2: महिला डॉक्टर को पति कर रहा था परेशान
एक महिला डॉक्टर को उसका पति रोज शराब पीकर मारता था, लेकिन बदनामी के डर से वह शिकायत नहीं करना चाहती थी। उसने महिला बीट ऑफिसर से संपर्क किया, जिन्होंने काउंसलिंग के जरिए पति को समझाया और मामला सुलझ गया।
अब तक 5000 महिलाएं जुड़ीं
इस पहल से अब तक 5000 से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं। यह प्रयास महिलाओं को बिना किसी कानूनी झंझट के सुरक्षा और न्याय दिलाने में मदद कर रहा है।
निष्कर्ष
महिला बीट ऑफिसर्स की यह पहल महिलाओं के लिए सुरक्षा की नई उम्मीद बनकर उभरी है। इससे न केवल महिलाएं खुलकर अपनी समस्याएं साझा कर पा रही हैं, बल्कि उन्हें बिना किसी बदनामी या कानूनी उलझन के समाधान भी मिल रहा है।