केंद्र सरकार ने पढ़ाई के दबाव को कम करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में कला शिक्षा को अनिवार्य किया है। इसके लिए लाखों रुपये का बजट भी दिया जा रहा है, लेकिन राजस्थान सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही।
बिना शिक्षक और किताबों के मिल रहे ग्रेड
राजस्थान में सरकारी स्कूलों में बिना कला शिक्षक और बिना किताबों के बच्चों को कला का ज्ञान दिया जा रहा है। फिर भी हर साल कक्षा 1 से 10 तक के 80 लाख बच्चों को ग्रेड दिए जा रहे हैं। इनमें से करीब 10 लाख बच्चों ने 12वीं बोर्ड में कला शिक्षा को ऐच्छिक विषय के रूप में चुना है।
संगीत शिक्षकों की कमी
राजकीय स्कूलों में संगीत विषय अनिवार्य होने के बावजूद लाखों बच्चों को इसका सही शिक्षण नहीं मिल पा रहा। साल 1992 के बाद से संगीत शिक्षकों की भर्ती बंद है। पिछले 32 साल में केवल 28 संगीत शिक्षकों की नौकरी दी गई है। राज्य के 14032 स्कूलों में से केवल 43 स्कूलों में ही संगीत विषय ऐच्छिक रूप से पढ़ाया जा रहा है, जिसमें भी 15 पद खाली हैं।
केंद्र सरकार से मिल रहा बजट
केंद्र सरकार ने 2021-22 में कला शिक्षा के लिए राजस्थान को करोड़ों रुपये का बजट दिया। इसमें 418.76 करोड़ रुपये आर्ट एंड क्राफ्ट रूम के लिए, 1.13 करोड़ रुपये कला उत्सव के लिए और 19.70 करोड़ रुपये कला सामग्री के लिए दिए गए। राज्य में हजारों आर्ट रूम तैयार हैं, लेकिन उनमें शिक्षक नहीं हैं।
बेरोजगार संगीत शिक्षक
राजस्थान के 23 सरकारी और 41 निजी कॉलेज हर साल हजारों संगीत शिक्षक तैयार कर रहे हैं। लेकिन राज्य में भर्ती न होने के कारण ये युवा बेरोजगार हैं और दूसरे राज्यों में नौकरी कर रहे हैं।
सरकार को भर्ती पर ध्यान देना चाहिए
सरकार को कला शिक्षा को बढ़ावा देकर युवाओं को रोजगार के मौके देने चाहिए। पिछले 30 साल से भर्ती नहीं हुई है, जिसे जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए।
–महेश गुर्जर, सचिव, कला शिक्षा आंदोलन