डिपो पर ताले, टिकट के लिए भटक रहे यात्री
राजस्थान रोडवेज ने उदयपुर के बाद अब भीलवाड़ा डिपो की बुकिंग खिड़कियों पर ताले लगा दिए हैं। यहां न जनरल टिकट मिल रहे हैं और न ही आरक्षित। इस फैसले से यात्रियों को भारी दिक्कतें हो रही हैं। डिपो में पांच बुकिंग खिड़कियां हैं, लेकिन सभी पर ताले जड़े हैं।
कर्मचारियों की कमी का हवाला
डिपो प्रबंधन ने स्टॉफ की कमी का हवाला देते हुए बुकिंग खिड़कियां बंद कर दीं और कर्मचारियों को रूट पर भेज दिया। उदयपुर डिपो में भी यही निर्णय लिया गया था। अब प्रदेश के अन्य डिपो में भी ऐसा करने की तैयारी है।
कर्मचारी संगठनों में नाराजगी
कर्मचारी संगठनों ने इस निर्णय का विरोध किया है। संगठनों का कहना है कि रोडवेज निजीकरण की ओर बढ़ रहा है। बुकिंग बंद करने से भ्रष्टाचार बढ़ेगा और यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
सत्यनारायण शर्मा, प्रदेश महामंत्री (भामसं) का कहना है, “गुजरात में निजीकरण की तर्ज पर राजस्थान में यह कदम उठाया जा रहा है। लेकिन यहां न तो बसें पर्याप्त हैं और न ही कर्मचारी। इससे यात्रियों और कर्मचारियों, दोनों को नुकसान होगा।”
अनुबंध बसों का बढ़ा उपयोग
रोडवेज प्रबंधन ने कई बसों को अनुबंध पर चलाना शुरू कर दिया है। बुकिंग खिड़कियां बंद होने से यात्री प्लेटफॉर्म पर धक्का-मुक्की करने को मजबूर हो रहे हैं। खासकर महिलाओं और बच्चों को अधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है।
नई भर्ती का इंतजार
रोडवेज में 2013 के बाद से कोई नई भर्ती नहीं हुई है। 1600 पदों की भर्ती की घोषणा केवल कागजों तक सीमित है। इस समय रोडवेज के बेड़े में 4000 बसें और 11,472 कर्मचारी ही हैं, जबकि एक दशक पहले 5800 बसें और 27,000 कर्मचारी थे।
मुख्य आंकड़े (फैक्ट फाइल):
- डिपो: 52
- रोजाना आय: करीब 6 करोड़
- बसें: 4000
- कर्मचारी: 11,472
- पिछली भर्ती: 2013
डिपो प्रबंधन का पक्ष:
डिपो के मुख्य प्रबंधक हेमराज मीणा का कहना है, “स्टॉफ की कमी के कारण बुकिंग खिड़कियां बंद की गई हैं। कर्मचारियों को रूट पर भेजा गया है।”
यह स्थिति यात्रियों के लिए परेशानी और रोडवेज प्रबंधन के लिए नई चुनौती बन गई है।