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राजस्थान के गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढ़म ने डीग जिले के अस्तित्व को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, “जिला था, जिला है और जिला रहेगा।” इस बयान के साथ जिले के अस्तित्व पर मंडरा रहे संकट के बादल छंट गए हैं।
कैबिनेट बैठक से पहले बयान
गृह राज्यमंत्री का यह बयान 20 नवंबर को होने वाली कैबिनेट बैठक से पहले आया है। बैठक में कांग्रेस सरकार द्वारा गठित नए जिलों की समीक्षा के लिए बनाई गई कमेटी की फाइनल रिपोर्ट पेश की जाएगी। माना जा रहा है कि सरकार कुछ नए जिलों को रद्द करने का फैसला ले सकती है। लेकिन जवाहर सिंह बेढ़म ने डीग जिले को यथावत बनाए रखने की बात साफ कर दी है।
डीग जिला बनने का संघर्ष
डीग जिला बनने का सपना दशकों पुराना है। इसे लेकर लंबे समय से संघर्ष चल रहा था। 6 जुलाई 2010 से 5 नवंबर 2010 तक 123 दिन का धरना हुआ था। इसके अलावा वकीलों ने 119 दिन का सांकेतिक धरना दिया। 4 जनवरी 2023 को व्यापार महासंघ ने डीग के बाजारों को बंद कर अपना समर्थन जताया। भाजपा के पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया था।
पत्रिका की भूमिका
राजस्थान पत्रिका ने डीग जिले के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। कई बार प्रमुख खबरें प्रकाशित कर लोगों की उम्मीदों को आवाज दी। पत्रिका ने 24 जून को “समीक्षा पर निर्भर भविष्य, डीग जिला हटा तो सपनों पर होगा कुठाराघात” शीर्षक से खबर छापी। इसके अलावा 11 अगस्त और 7 सितंबर को भी डीग जिले के भविष्य से जुड़ी खबरें प्रकाशित की।
संघर्ष के परिणामस्वरूप बनी पहचान
डीग जिला बनने का सफर संघर्ष से भरा रहा है। गृह राज्यमंत्री के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डीग जिला बरकरार रहेगा, जिससे स्थानीय लोगों को राहत और उत्साह मिला है।