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बरेली: यूपी पुलिस के रिश्वतखोर इंस्पेक्टर रामसेवक, जो फरीदपुर थाने में तैनात रहते हुए स्मैक तस्करों को रिश्वत लेकर छोड़ने के आरोप में निलंबित हुए थे, अब जल्द ही गिरफ्तार हो सकते हैं। हाईकोर्ट से मिली 60 दिन की मोहलत खत्म होने के बाद पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए हैं। साथ ही, जिन दो स्मैक तस्करों को उन्होंने छोड़ा था, उन्हें भी अब मुकदमे में नामजद कर दिया गया है।
रिश्वत के बदले तस्कर छोड़े गए
20 अगस्त की रात इंस्पेक्टर रामसेवक ने स्मैक तस्करों आलम, नियाज अहमद और अशनूर को हिरासत में लिया था। बाद में उन्होंने सात लाख रुपये की रिश्वत लेकर आलम और नियाज को छोड़ दिया। यह मामला एसएसपी अनुराग आर्य के संज्ञान में आने के बाद गंभीर हो गया। 21 अगस्त को एसपी सिटी मानुष पारीक ने थाने में छापा मारा, लेकिन रामसेवक सरकारी पिस्टल और 10 कारतूस लेकर फरार हो गया। छापेमारी में उसके कमरे से 9.84 लाख रुपये बरामद हुए थे।
तस्करों को नामजद किया गया
सीओ हाईवे नितिन कुमार, जो इस मामले की जांच कर रहे हैं, ने बताया कि तस्कर आलम और नियाज को मुकदमे में नामजद कर उन्हें नोटिस भेजा गया है। साथ ही, इंस्पेक्टर रामसेवक की गिरफ्तारी पर लगी रोक की अवधि अब खत्म हो चुकी है और जल्द ही उनकी गिरफ्तारी हो सकती है।
भ्रष्टाचार और पिस्टल गबन का मामला
रामसेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और सरकारी पिस्टल गबन के तहत दो मुकदमे दर्ज किए गए हैं। एसएसपी अनुराग आर्य ने रामसेवक को निलंबित कर उनकी गिरफ्तारी के आदेश दिए थे, लेकिन रामसेवक ने हाईकोर्ट से 60 दिन का स्टे लिया था। अब यह अवधि खत्म हो चुकी है, और पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए तैयार है।