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घटना का विवरण: उपखंड क्षेत्र में भूजल स्तर में लगातार गिरावट के कारण अब परंपरागत खेती किसानों के लिए नुकसान का कारण बन गई है। पानी की कमी के कारण पुराने ट्यूबवेल अब काम नहीं कर रहे हैं, जिससे किसानों को खेतों में सिंचाई के लिए पानी के टैंकर मंगवाने पड़ रहे हैं। इस स्थिति में, जहां ट्यूबवेल नहीं हैं, वहां पानी खरीदने के लिए किसानों को प्रति घंटा के हिसाब से पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
सिंचाई की मुश्किलें: चौमू गांव के किसानों ने बताया कि जब ट्यूबवेल खराब हो गए, तो उन्हें मजबूरन पानी के टैंकर मंगवाने पड़ रहे हैं। एक बीघा खेत की सिंचाई के लिए करीब 3000 रुपये का खर्च आ रहा है। किसानों का कहना है कि अगर अब सिंचाई नहीं की गई तो सर्दी में पूरी फसल खराब हो जाएगी।
सरसों की बुवाई और सिंचाई संकट: इस बार बारिश के कारण सरसों की बुवाई तो हो गई, लेकिन अब सिंचाई का संकट उत्पन्न हो गया है। किसान अब दूसरे किसानों से 200 रुपये प्रति घंटा के हिसाब से पानी खरीद रहे हैं। खेती अब जोखिम बन गई है, क्योंकि मानसून में कब क्या होगा, इसका कोई भरोसा नहीं है। फिर भी, किसान अपनी आजीविका और आर्थिक सुधार के लिए खेती कर रहे हैं, लेकिन यह अब घाटे का सौदा बनता जा रहा है।