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वायु प्रदूषण: सीकर में सांस लेना हुआ मुश्किल, दिसंबर में रेड जोन में पहुंचा शहर

सीकर में बिगड़ी आबोहवा
दीपावली के बाद से सीकर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 322 तक दर्ज किया गया, जो रेड जोन में आता है। सर्द हवाओं के कारण प्रदूषण लंबे समय तक वातावरण में बना हुआ है, जिससे सांस के मरीजों की परेशानियां बढ़ रही हैं।

विशेषज्ञों की चेतावनी

  • सर्द हवाओं में पीएम-2.5 के कण और अन्य जहरीली गैसें लंबे समय तक वातावरण में रहती हैं।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, समय रहते सावधानी नहीं बरती गई तो स्वच्छ सांस लेना और मुश्किल हो जाएगा।
  • दिसंबर में सीकर की हवा पिछले 10 वर्षों में सबसे खराब स्थिति में है।

प्रदूषण बढ़ने के कारण

  1. नम और भारी सर्द हवाएं: उत्तर भारत से चल रही सर्द हवाएं प्रदूषण को वातावरण में रोके रखती हैं।
  2. वाहनों और फैक्ट्रियों की संख्या में वृद्धि: इनके चलते हवा में जहरीली गैसों का स्तर बढ़ रहा है।
  3. खुले में कचरा जलाना और निर्माण कार्य: धूल और मिट्टी के कण हवा में घुलकर प्रदूषण बढ़ा रहे हैं।
  4. जहरीली गैसें: हवा में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसें बढ़ रही हैं।

एक्यूआई के मानक

  • 0-50: अच्छी हवा।
  • 51-100: संतोषजनक, संवेदनशील लोगों को थोड़ा जोखिम।
  • 101-150: संवेदनशील लोगों के लिए खतरा।
  • 151-200: संवेदनशील समूहों पर असर।
  • 201-300: सभी वर्ग प्रभावित।
  • 301-400: गंभीर खतरा।
  • 401-500: बहुत खराब, स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव।

प्रदूषण से स्वास्थ्य पर असर

  • आंखों में जलन।
  • सर्दी-जुकाम और सांस लेने में तकलीफ।
  • अस्थमा और सीओपीडी जैसे बीमारियों में वृद्धि।
  • बाहर समय बिताने वाले लोगों पर अधिक असर।

डॉक्टरों की सलाह
डॉ. प्रहलाद दायमा के अनुसार, इस साल सांस और एलर्जी के मरीजों की संख्या बढ़ी है। जिन लोगों में पहले अस्थमा या सीओपीडी नहीं था, उनमें भी लक्षण नजर आ रहे हैं।

  • मास्क का उपयोग करें।
  • बाहर जाने से बचें।
  • प्रदूषण के स्तर पर ध्यान दें।

निष्कर्ष
सीकर की बिगड़ती हवा स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कदम उठाने और सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

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