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राजस्थान में बीते कुछ महीनों में बोरवेल हादसों की घटनाएं बढ़ गई हैं। इनमें बच्चों से लेकर किसानों तक की जान गई, लेकिन कुछ मामलों में प्रशासन ने रेस्क्यू
1. कोटपूतली: 3 साल की चेतना फंसी बोरवेल में
कोटपूतली के कीरतपुरा गांव में तीन साल की चेतना 150 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई। रोने की आवाज सुनकर परिजनों ने सूचना दी। प्रशासन और डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंची। जेसीबी से खुदाई शुरू कर दी गई, लेकिन रेस्क्यू जारी है।
2. दौसा: आर्यन को नहीं बचाया जा सका (10 दिसंबर)
दौसा के कालीखाड़ गांव में 56 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद आर्यन को बोरवेल से निकाला गया। लेकिन अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया। आर्यन खेलते समय 150 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था। रेस्क्यू में कई परेशानियां आईं, जिससे उसे बचाने में देर हो गई।
3. बाड़मेर: 4 साल के बच्चे की मौत (20 नवंबर)
बाड़मेर के गुड़ामालानी में 4 साल का बच्चा 150 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया। बच्चा 100 फीट की गहराई पर फंसा था, लेकिन पानी भरे होने के कारण 6 घंटे की कोशिशों के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका।
4. दौसा: किसान की मौत (25 अक्टूबर)
लालसोट के टोडा ठेकला गांव में किसान हेमराज बोरवेल में गिर गया। 25 फीट की गहराई पर मिट्टी में दबा किसान 2 घंटे की मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया, लेकिन अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया।
5. दौसा: 2 साल की मासूम बची (18 सितंबर)
बांदीकुई के जोधपुरिया गांव में ढाई साल की बच्ची नीरू खेलते समय बोरवेल में गिर गई। बच्ची 30 फीट गहराई पर अटकी थी। 17 घंटे के रेस्क्यू के बाद एनडीआरएफ की टीम ने उसे सुरक्षित बाहर निकाला।
6. अलवर: 5 साल के बच्चे को बचाया गया (25 मई)
अलवर के कनवाड़ा गांव में 5 साल का बच्चा 100 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया। बच्चा 20-25 फीट की गहराई पर फंसा था। रेस्क्यू ऑपरेशन के जरिए उसे सुरक्षित बाहर निकाला गया।
इन घटनाओं से साफ है कि खुले बोरवेल कितने खतरनाक हो सकते हैं। प्रशासन और लोगों को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा।