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मध्य प्रदेश सरकार के 15 विभागों पर अतिरिक्त प्रभार, 31 हजार करोड़ के प्रस्ताव पेंडिंग

मध्य प्रदेश सरकार के 15 से अधिक बड़े विभागों और बोर्डों पर अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। इनमें कई ऐसे विभाग हैं जिनके स्थायी प्रमुख नहीं हैं, जिससे कामकाज में प्रभावित होने का खतरा है। महिला एवं बाल विकास विभाग का कार्यक्षेत्र भी बढ़ा हुआ है, और इसमें भी कोई स्थायी प्रमुख नहीं है।

प्रदेश में रोड नेटवर्क पर बड़े काम चल रहे हैं। मोहन सरकार ने पिछले साल 268 योजनाओं को स्वीकृति दी है, लेकिन 31 हजार करोड़ के प्रस्ताव अभी भी पेंडिंग हैं। रोड नेटवर्क से जुड़ी मांगें लगातार बढ़ रही हैं, और सरकार इस पर काम कर रही है।

मध्य प्रदेश के कई महत्वपूर्ण विभागों में प्रशासनिक मुखिया नहीं होने की स्थिति में कामकाज प्रभावित हो सकता है, इसको लेकर सरकार जल्द ही नए अधिकारियों की नियुक्ति पर विचार कर रही है।

नि:शक्तजन आयुक्त के लिए लॉबिंग शुरू
मध्य प्रदेश में नए नि:शक्तजन आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो गई है। मौजूदा आयुक्त संदीप रजक का कार्यकाल जनवरी 2025 में पूरा होगा। नए आयुक्त के लिए दिव्यांगता के क्षेत्र में 18 साल के अनुभव वाले लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। इस पद के लिए कई नाम सामने आ रहे हैं और फरवरी 2025 तक नियुक्ति हो सकती है।

अतिरिक्त प्रभार पर विभागों की सूची:

  • पीडब्ल्यूडी: एसीएस नीरज मंडलोई
  • संसदीय कार्य: एसीएस अनुपम राजन
  • लोक सेवा प्रबंधन: एसीएस डॉ. राजेश राजौरा
  • डब्ल्यूआरडी: एसीएस डॉ. राजेश राजौरा
  • घुमंतू एवं अर्धघुमंतू जनजाति विभाग: एसीएस अजीत केसरी
  • विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग: एसीएस संजय दुबे
  • विमानन विभाग: पीएस संजय शुक्ला
  • महिला एवं बाल विकास विभाग: पीएस रश्मि अरुण शमी
  • धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग: पीएस शिव शेखर शुक्ला
  • उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग: एसीएस अनुपम राजन
  • मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी: एसीएस नीरज मंडलोई
  • हाउसिंग बोर्ड: पीएस संजय शुक्ला
  • खेल एवं युवा कल्याण विभाग: एसीएस मनु श्रीवास्तव
  • एप्को: सचिव नवनीत कोठारी
  • मप्र सड़क विकास निगम: एमडी अविनाश लवानिया

राजनीतिक लॉबिंग तेज
नि:शक्तजन आयुक्त पद के लिए 27 दिसंबर तक आवेदन किए जा सकते हैं। मौजूदा आयुक्त संदीप रजक की पत्नी नीता भी इस बार दावेदार हो सकती हैं, और कई अन्य शहरों से भी दावेदारी हो रही है। इस पद के लिए सीएम के स्तर पर चयन किया जाएगा, और इस कारण राजनीतिक लॉबिंग भी बढ़ गई है।

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