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शहर में बसों का दबाव तेजी से बढ़ रहा है। सड़कों पर बस स्टैंड यातायात में रुकावट पैदा कर रहे हैं। इन बस स्टैंड्स को शहर से बाहर ले जाने की योजनाएं बनाई गईं, लेकिन आज तक अमल में नहीं आईं। नारायण सिंह सर्कल, दुर्गापुरा, अजमेर रोड पर 200 फीट बाइपास चौराहा, और सीकर रोड पर राव शेखाजी सर्कल सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में से हैं। इनमें नारायण सिंह सर्कल की स्थिति सबसे खराब है।
योजनाएं बनीं पर अमल नहीं हुआ
बसों को शहर से बाहर रोकने और बेहतर कनेक्टिविटी के लिए कई योजनाएं बनीं, लेकिन उनका क्रियान्वयन नहीं हो पाया। हीरापुरा बस टर्मिनल छह महीने पहले बनकर तैयार हुआ, लेकिन अभी तक शुरू नहीं किया गया। पहले रोडवेज अधिकारियों ने कहा कि कमला नेहरू पुलिया चालू होने के बाद इसे संचालित किया जाएगा। पुलिया करीब 20 दिन पहले चालू हो चुकी है, फिर भी बसें टर्मिनल तक नहीं पहुंच रहीं।
बस टर्मिनल के लिए उपयुक्त जगह की तलाश
ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की पिछली बैठक में बस टर्मिनल के लिए जगह पर चर्चा हुई। परिवहन विभाग ने अचरोल, शिवदासपुरा और कानोता में प्रस्तावित जमीन को अनुपयुक्त बताया। अब दिल्ली रोड पर सड़वा मोड़, टोंक रोड पर सीतापुरा और सीकर रोड पर टोडी मोड़ जैसे नए स्थान सुझाए गए हैं।
काम की धीमी गति बनी समस्या
शहर की सड़कों पर बसों और वाहनों का भारी दबाव है, लेकिन जिम्मेदार विभागों की योजना केवल कागजों में सीमित है। जेडीए ने तीन साल पहले अचरोल, शिवदासपुरा और कानोता में औसतन 10,000 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की थी। लेकिन अब परिवहन विभाग 30 किमी पहले जमीन की मांग कर रहा है।
राहत कैसे मिलेगी?
शहर से 25-30 किमी दूर बस टर्मिनल विकसित करने और वहां से सिटी बसों द्वारा शहर तक कनेक्टिविटी प्रदान करने से यातायात समस्या कम हो सकती है।
आगरा रोड, दिल्ली रोड, सीकर रोड, अजमेर रोड, और टोंक रोड से आने वाली बसें कई भीड़भाड़ वाले इलाकों से गुजरती हैं। बस टर्मिनल बाहर स्थानांतरित होने से इन क्षेत्रों को राहत मिलेगी।
विशेषज्ञ की राय
सेवानिवृत्त मुख्य नगर नियोजक सतीश शर्मा का मानना है कि बस स्टैंड को शहर से बाहर ले जाना ही सबसे अच्छा विकल्प है। नारायण सिंह तिराहे पर बसों के लिए एक लेन रिजर्व होने के बावजूद स्थिति खराब है। सरकार को मल्टीलेवल ट्रांसपोर्टेशन हब के रूप में नए विकल्पों पर गंभीरता से काम करना चाहिए। इससे लोगों को राहत मिलेगी।