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जयपुर: यूके में हर साल 1,100 से ज्यादा लोग वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों के कैंसर का शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की कैंसर एजेंसी (IARC) के एक अध्ययन के मुताबिक, 2022 में यूके में 515 पुरुषों और 590 महिलाओं को एडेनोकार्सिनोमा (फेफड़ों के कैंसर का एक प्रमुख प्रकार) हुआ, जिसका मुख्य कारण वायु प्रदूषण था।
यूके में वायु प्रदूषण से कैंसर के मामले ज्यादा
अध्ययन के अनुसार, यूके में वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों के कैंसर के मामले अमेरिका और कनाडा से भी अधिक हैं। जबकि फिनलैंड में ऐसे मामलों की संख्या सबसे कम है।
यह पहली बार है जब IARC ने इस तरह के आंकड़े प्रकाशित किए हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और कैंसर संगठनों ने इस रिपोर्ट को “चेतावनी भरी सूचना” बताया है और सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग की है।
विशेषज्ञों की राय
- पाउला चैडविक (रॉय कैसल लंग कैंसर फाउंडेशन):
“यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं। हमें पहले से पता था कि वायु प्रदूषण से कैंसर का खतरा बढ़ता है, लेकिन अब यह साबित हो चुका है। सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए।” - एंड्रयू हेन्स (लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन):
“सरकार को वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को गंभीरता से लेना चाहिए।” - डॉ. हेलेन क्रोकर (वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड):
“यह समस्या सिर्फ ठोस सरकारी प्रयास से ही कम हो सकती है।”
एडेनोकार्सिनोमा का बढ़ता खतरा
फेफड़ों का कैंसर दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतों का कारण बनता है। 2022 में 2.5 मिलियन लोगों को यह बीमारी हुई थी।
- पुरुषों में 45.6% और महिलाओं में 59.7% मामले एडेनोकार्सिनोमा के थे।
- यह धूम्रपान न करने वालों में भी तेजी से बढ़ रहा है, 70% मरीजों को यह बीमारी बिना धूम्रपान किए हुई।
चीन में सबसे ज्यादा मामले, लेकिन यूके में भी स्थिति खराब
- चीन में 2022 में 100,000 पुरुषों में 6.15 और महिलाओं में 4.25 को यह बीमारी हुई।
- यूके की स्थिति अमेरिका (0.49 और 0.53) और कनाडा (0.38 और 0.41) से खराब रही।
- यूके की दर फिनलैंड से चार गुना अधिक थी।
सरकार की प्रतिक्रिया
यूके सरकार ने कहा कि वह हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है और “स्वच्छ हवा रणनीति” पर काम कर रही है। सरकार का कहना है कि वह इस समस्या को दूर करने के लिए पर्यावरणीय नीतियों की समीक्षा कर रही है।
निष्कर्ष
वायु प्रदूषण से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ रहा है, और अगर इसे रोका नहीं गया तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में इस बीमारी से होने वाली मौतों को कम किया जा सके।