नई नीति, लेकिन पुराना तरीका
राजस्थान सरकार ने नई आबकारी नीति लागू की है, लेकिन यह पुराने पैटर्न पर ही आधारित है। इससे शराब ठेकेदारों की मोनोपॉली (एकाधिकार) फिर बढ़ जाएगी। साथ ही, शराब कंपनियों को भी बड़ी राहत दी गई है।
शराब की दुकानों को समूहों में बांटा
- राज्य की 7665 शराब दुकानों को 2500 छोटे समूहों में बांट दिया गया है।
- जयपुर की 358 दुकानों को करीब 140 समूहों में रखा गया है।
- आम लोग इन समूहों का संचालन नहीं कर सकते, जिससे ठेकेदारों का ही दबदबा रहेगा।
शराब कंपनियों को गोदाम खोलने की छूट
- पहले शराब कंपनियों को सीधे आरएसबीसीएल के गोदाम में माल भेजना पड़ता था, लेकिन अब वे शहरों में अपने गोदाम खोल सकेंगी।
- ठेकेदार सीधे कंपनियों से शराब खरीद सकेंगे, जिससे उनके लिए यह काम और आसान हो जाएगा।
शराब कारोबार अब कम लोगों के हाथों में
पहले 7665 लोगों के पास शराब का कारोबार था, लेकिन अब यह करीब 2500 लोगों तक सिमट जाएगा। इससे ठेकेदारों का एकाधिकार बढ़ेगा।
4 साल के लिए नई नीति लागू
- 2025-29 तक (4 वर्ष) के लिए नई नीति लागू की गई है।
- 2 से 4 दुकानों को एक समूह में रखा गया है।
- जयपुर में 358 दुकानों को 140 समूहों में बांटा गया है।
पहले अपराधों में आई थी कमी
- 2005 में भाजपा सरकार ने ठेकेदारों की मोनोपॉली खत्म करने के लिए लॉटरी सिस्टम लागू किया था, जिससे अपराधों में कमी आई थी।
- अब फिर से समूह बनाकर ठेकेदारों को ही दुकानें देने का तरीका अपनाया गया है।
ठेकेदारों ने कर लिया नवीनीकरण
नई नीति के तहत नवीनीकरण उन्हीं ठेकेदारों को मिलेगा, जहां जिले की 70% दुकानों का नवीनीकरण हो जाएगा। ठेकेदारों ने इस शर्त को पूरा करते हुए बड़ी संख्या में दुकानों का नवीनीकरण करा लिया है।
निष्कर्ष
नई नीति से छोटे कारोबारियों को मौका नहीं मिलेगा, और बड़े ठेकेदारों का दबदबा फिर से बढ़ेगा। वहीं, शराब कंपनियों को भी अपने गोदाम खोलने की छूट मिल गई है, जिससे उन्हें सीधा फायदा होगा।