बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने पहली बार एक साथ 7 याचिकाओं की सुनवाई और आदेश हिंदी में दिया है। पहले भी कुछ मामलों में हिंदी में फैसले दिए गए थे, लेकिन 7 याचिकाओं पर एक साथ हिंदी में फैसला पहली बार हुआ है।
किसने दायर की थी याचिका?
जांजगीर-चांपा और सक्ती जिले के गांवों में रहने वाले सावित्री साहू, भगवती देवांगन, सुनील कुमार बंजारा, धनेश्वरी, गायत्री मनहर, शशिकला यादव, कार्तिक राम, भानु प्रताप, करण सिंह सूर्यवंशी, पूनम खरे, सुनीता कश्यप, देवकुमारी मरावी, अनिरुद्ध सिंह, गनेशिया देवी, प्रेमा बाई और गायत्री चांदने ने अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के जरिए याचिका दायर की थी।
क्या थी याचिकाकर्ताओं की समस्या?
- सभी याचिकाकर्ता जांजगीर-चांपा जिले के आदिवासी विकास विभाग के छात्रावासों में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी (सफाईकर्मी, रसोईया आदि) के रूप में काम कर रहे थे।
- इन्हें जून 2022 से वेतन नहीं मिला और पिछले महीने अचानक नौकरी से हटा दिया गया।
- 3 साल से वेतन नहीं मिलने और नौकरी छिन जाने से परिवार चलाने में मुश्किल हो रही थी, इसलिए उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट का फैसला
जस्टिस ए.के. प्रसाद ने सहायक आयुक्त आदिवासी विकास जांजगीर-चांपा और सक्ती को निर्देश दिया कि –
- याचिकाकर्ताओं को फिर से काम पर रखा जाए।
- उनके बकाया वेतन का भुगतान 45 दिन के भीतर किया जाए।
- जस्टिस प्रसाद ने सभी याचिकाओं पर हिंदी में बहस सुनी और हिंदी में ही फैसला दिया।
याचिकाकर्ताओं की परेशानी
- याचिकाकर्ताओं को बिना किसी पूर्व सूचना के नौकरी से हटा दिया गया।
- जून 2022 से वेतन नहीं मिलने से परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया।
- कई बार अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी नौकरी बहाल नहीं हुई और न ही बकाया भुगतान मिला।
अब क्या होगा?
हाईकोर्ट के आदेश के बाद संबंधित विभाग को 45 दिन के भीतर याचिकाकर्ताओं को वापस काम पर रखना होगा और उनका बकाया वेतन भी देना होगा।
यह फैसला हिंदी में सुनवाई और आदेश देने के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।