मध्य प्रदेश सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाली बेटियों की सुरक्षा और उनकी समस्याओं को सुनने के लिए ‘बेटी की पेटी अभियान’ शुरू किया था। इस अभियान के तहत बेटियाँ अपनी शिकायतें और सुझाव पेटियों में डाल सकती थीं, ताकि उन पर कार्रवाई की जा सके। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों और स्कूलों के प्राचार्यों की लापरवाही के कारण अधिकतर स्कूलों में शिकायत पेटी या तो लगी ही नहीं है या फिर बंद पड़ी हैं।
पत्रिका की पड़ताल में कई स्कूलों में यह स्थिति सामने आई:
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पदम्मा स्कूल: यहां दो पेटियां लगी हुई हैं, लेकिन एक पेटी पर कुछ भी लिखा नहीं है और वह बंद पड़ी है, जबकि दूसरी पेटी कई महीने से खुली नहीं है।
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जीवाजी राव स्कूल: यहां पेटी तो लगी है, लेकिन न तो उसमें कोई लिखावट है और न ही उस पेटी में ताला लगा है।
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गजराराजा स्कूल: इस स्कूल में भी शिकायत पेटी लगी हुई है, लेकिन उसके ताले की स्थिति से यह साफ है कि पेटी कई महीनों से नहीं खोली गई है।
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कॉमल कान्वेंट स्कूल: यहां पेटी के पास काफी गंदगी जमा हुई है, और पेटी का ताला भी काफी समय से नहीं खोला गया है।
राज्य शिक्षा केंद्र और लोक शिक्षण संचालनालय ने स्कूलों में शिकायत पेटी लगाने के आदेश दिए थे, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने इसे सही तरीके से लागू नहीं किया।
जिला शिक्षा अधिकारी का बयान:
“अगर स्कूलों में शिकायत पेटी का पालन नहीं किया जा रहा है, तो हम संबंधित प्राचार्यों को नोटिस जारी करेंगे।”
- अजय कटियार, जिला शिक्षा अधिकारी, ग्वालियर