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अकलेरा में पशुचिकित्सा व्यवस्था बदहाल, दो साल से नहीं है डॉक्टर

अकलेरा तहसील में पशुचिकित्सा की स्थिति खराब है। यहां प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय में दो साल से डॉक्टर का पद खाली है, जिससे 250 गांवों के पशुपालकों को परेशानी हो रही है। बिना डॉक्टर के सहायक कर्मचारी ही पशुओं का इलाज कर रहे हैं।

22 पशु चिकित्सा केंद्रों में आधे से ज्यादा पद खाली

  • अकलेरा और आसपास 22 पशु चिकित्सा केंद्र हैं, लेकिन अधिकतर में डॉक्टर नहीं हैं
  • भालता, अरनिया, पचोला, सरड़ा, चुरेलिया में सिर्फ 2 डॉक्टर हैं, बाकी सभी जगह पद खाली हैं।
  • उपकेंद्र जैसे मोरली, आमेटा, उमरिया, देवली, बैरागढ़, गोपालपुरा, नयापुरा और बोरबंद स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं

पशुपालकों की शिकायत, कोई सुनवाई नहीं

  • पशु पालक शिव सिंह किराड़ ने बताया कि इलाज के अभाव में लोग झोलाछाप डॉक्टरों पर निर्भर हैं
  • बरसात के मौसम में पशुओं में बीमारियां बढ़ जाती हैं और बिना डॉक्टर के सही इलाज नहीं मिल पाता।
  • गर्मी के मौसम में भी खुरपका-मुंहपका, डायरिया जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं, लेकिन चिकित्सा सुविधाएं नहीं हैं।

समाधान की जरूरत

  • नोडल अधिकारी डॉ. नीतू रघुवंशी का कहना है कि रिक्त पदों की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी गई है
  • नजदीकी केंद्रों से स्टाफ भेजकर काम चलाया जा रहा है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है।
  • मोबाइल यूनिट भी पशु चिकित्सा में मदद कर रही है, लेकिन स्टाफ की कमी बनी हुई है।

चुरेलिया के डॉक्टर को अकलेरा भेजने की मांग

  • चुरेलिया केंद्र में डॉक्टर और कंपाउंडर दोनों हैं, जबकि अकलेरा में कोई डॉक्टर नहीं
  • पशुपालकों की मांग है कि चुरेलिया के डॉक्टर को अकलेरा भेजा जाए ताकि सैकड़ों गांवों को राहत मिल सके।
  • टीएन बंसोड़ (संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, झालावाड़) ने कहा कि 20 फरवरी के बाद क्षेत्र का दौरा करेंगे और समाधान की कोशिश करेंगे

अकलेरा क्षेत्र में जल्द से जल्द पशु चिकित्सा व्यवस्था सुधारने की जरूरत है ताकि पशुपालकों और उनके मवेशियों को राहत मिल सके

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