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कैंसर के मरीजों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। अब खून की एक बूंद से कैंसर का पता लगाकर बेहतर इलाज किया जा सकता है। यूके के मैनचेस्टर स्थित क्रिस्टी अस्पताल में एक नई ब्लड टेस्ट तकनीक पर परीक्षण किया जा रहा है, जो कैंसर के इलाज के तरीके को पूरी तरह बदल सकता है।
कैसे काम करेगा यह नया ब्लड टेस्ट?
यह परीक्षण ‘टार्गेट नेशनल स्टडी’ का हिस्सा है, जिसका मकसद मरीजों के डीएनए का विश्लेषण करके उनके लिए सबसे सही इलाज खोजना है। अगर यह तरीका सफल होता है, तो इसे एनएचएस (NHS) की सेवाओं में शामिल किया जा सकता है, जिससे कैंसर का इलाज आसान और अधिक प्रभावी होगा।
नए ब्लड टेस्ट की खासियत
- यह ब्लड टेस्ट पारंपरिक बायोप्सी से अलग है।
- बायोप्सी प्रक्रिया दर्दनाक होती है, जबकि यह ब्लड टेस्ट आसान और कम तकलीफदेह होगा।
- इस टेस्ट के जरिए कैंसर कोशिकाओं के डीएनए के छोटे टुकड़ों का विश्लेषण किया जाता है, जिससे म्यूटेशन (उत्परिवर्तन) की पहचान कर व्यक्तिगत इलाज दिया जा सकता है।
- यह तकनीक कैंसर मरीजों के लिए सटीक और व्यक्तिगत चिकित्सा (Precision Medicine) को संभव बनाएगी।
रक्त परीक्षण से बेहतर इलाज की उम्मीद
- यह स्टडी क्रिस्टी चैरिटी और सर बॉबी रॉबसन फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित है।
- इसका लक्ष्य 6,000 मरीजों को इस परीक्षण में शामिल करना है।
- डॉक्टरों का मानना है कि यह ‘लिक्विड बायोप्सी’ कैंसर के इलाज के परिणामों को बेहतर बना सकती है।
मरीजों की सफलता की कहानी
78 वर्षीय पामेला गार्नर-जोंस, जो स्टेज 4 सर्वाइकल कैंसर से जूझ रही थीं, इस ब्लड टेस्ट की मदद से एक नए इम्यूनोथेरेपी दवा परीक्षण के लिए चुनी गईं।
उनका कहना है, “मुझे इससे बेहतर कुछ नहीं चाहिए था।” इस उपचार के बाद उनके ट्यूमर का आकार दो-तिहाई तक घट गया।
भविष्य में कैंसर का इलाज होगा आसान
अगर यह ब्लड टेस्ट पूरी तरह सफल होता है, तो यह कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। यह विधि खासकर आंतों के कैंसर और अन्य कैंसर के मामलों में बेहतर और अधिक प्रभावी इलाज उपलब्ध करा सकती है