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टोंक, राजस्थान: जिले में चने की फसल पर उखटा रोग का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे हरे-भरे पौधे देखते ही देखते सूख रहे हैं। इससे किसानों को भारी नुकसान होने की आशंका है। जिन किसानों ने बीजोपचार करके बुवाई की थी, उनकी फसल को कुछ हद तक बचाव मिला है।
क्या है उखटा रोग?
- किसान इस रोग को “उगाला रोग” भी कहते हैं।
- इस रोग में पौधों की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, और कुछ दिनों बाद पूरा पौधा सूख जाता है।
- किसान महंगे कीटनाशकों का छिड़काव करने के बाद भी कोई राहत नहीं मिल रही।
किसानों पर बढ़ा आर्थिक बोझ
किसानों हनुमान बोहरा, यादराम दगोलिया, नेपाल चौधरी, प्रभु रैगर, मंगल सिंह, कमल चौधरी और नाथू लाल रैगर ने बताया कि चने की खेती में लागत पहले से ही ज्यादा होती है।
- महंगे बीज, खाद और कीटनाशकों पर भारी खर्च होता है।
- अब जब रोग लग गया है, तो लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है।
फसल गिरदावरी करवाने की मांग
पचेवर, आवड़ा, नगर, सूरसागर, सैलसागर, मलिकपुर, किरावल, बरोल, चौलिया, पारली, गुलाबपुरा, बनेडिया चारनान, राजपुराबास, अजीतपुरा और कुराड सहित कई गांवों में उखटा रोग का असर देखा जा रहा है। किसानों ने फसल की विशेष गिरदावरी करवाने की मांग की है, ताकि नुकसान का आकलन कर उचित सहायता मिल सके।
नहीं मिल रहे कृषि अधिकारी, किसान सेवा केंद्र बेकार
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि विभाग के अधिकारी और कर्मचारी किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे। कस्बों में किसान सेवा केंद्र तो हैं, लेकिन वहां अधिकारी कब आते हैं, किसी को पता नहीं।
- किसानों को सही समय पर जानकारी और मदद नहीं मिलने से उनकी परेशानी बढ़ गई है।
- सिर्फ कागजी कार्रवाई से किसानों को कोई राहत नहीं मिल रही।
– किसान अब सरकार और कृषि विभाग से तत्काल मदद की मांग कर रहे हैं।