गर्मी शुरू होते ही जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ गई हैं। लेकिन वन विभाग के अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचते और न ही ग्रामीणों के फोन उठाते हैं। इससे जंगल जलकर राख हो रहे हैं, और वन्यजीवों को भी खतरा हो रहा है।
आग से वनों को भारी नुकसान
ग्राम चवेला और बांसला की पहाड़ियों में सोमवार देर शाम आग लग गई। लेकिन चार घंटे तक कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। आग फैलती रही और वन्यजीव धुएं के कारण पलायन करते दिखे। पत्रिका की टीम ने वन अधिकारी मोहन नेताम और एसडीओ आईपी गैंदले को सूचना दी, तब जाकर रात 10 बजे आग पर काबू पाया गया।
आबादी क्षेत्रों में पहुंच रहे जंगली जानवर
जंगल में आग लगने से जानवर सुरक्षित स्थान की तलाश में आबादी वाले इलाकों की ओर जाने लगे हैं। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की आशंका बढ़ रही है। वन विभाग ने आग बुझाने के लिए तैयारियां तो की हैं, लेकिन समय पर कार्रवाई नहीं होने से जंगल जल रहे हैं।
वन सुरक्षा समितियां बनीं बेकार
सरकार ने वन सुरक्षा समितियों का गठन किया है, लेकिन ये सिर्फ कागजों में ही मौजूद हैं। जंगलों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा।
आग कैसे लगती है?
- बीड़ी-सिगरेट पीने वाले लोग जलती हुई बीड़ी जंगल में फेंक देते हैं, जिससे आग लग जाती है।
- महुआ बीनने वाले लोग जंगल साफ करने के लिए खुद ही आग लगा देते हैं।
- लकड़ी तस्कर और शरारती तत्व भी जानबूझकर आग लगा देते हैं।
- हवा चलने पर आग तेजी से फैलती है, जिससे हालात और बिगड़ जाते हैं।
वन विभाग का बयान
एसडीओ आईपी गैंदले ने कहा कि हमें आग लगने की जानकारी अब मिल रही है। टीम भेजकर आग बुझाई जाएगी और ग्रामीणों को भी जागरूक किया जाएगा ताकि वे जंगल में आग न लगाएं।