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छत्तीसगढ़ के नक्सली हमले में घायल जवान दिनेश ओगरे को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उनका सुकमा ट्रांसफर रोक दिया है।
क्या है मामला?
- दिनेश ओगरे सारंगढ़ जिले के निवासी हैं और दूसरी बटालियन, छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल, सकरी में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे।
- उनका ट्रांसफर सकरी, बिलासपुर से सुकमा (नक्सली क्षेत्र) कर दिया गया था।
- ट्रांसफर आदेश से परेशान होकर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी।
जवान के स्वास्थ्य कारण
- 2016 में दिनेश ओगरे बीजापुर जिले के पामेड़ में तैनात थे, तब नक्सलियों के हमले में उनके सिर में गोली लगी थी।
- 2018 में एक गंभीर सड़क दुर्घटना में उनके बाएं पैर में स्टील की रॉड लगाई गई थी, जिससे उन्हें तेज चलने और दौड़ने में दिक्कत होती है।
- सुकमा एक घोर नक्सली क्षेत्र है, जहां उनकी तैनाती से जान का खतरा बढ़ सकता है।
कोर्ट में क्या कहा गया?
- याचिकाकर्ता के वकील ने 2016 और 2021 में पुलिस विभाग द्वारा जारी सर्कुलर का हवाला दिया।
- इन सर्कुलरों में कहा गया है कि नक्सली हमले में घायल जवानों को उनकी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही ड्यूटी दी जानी चाहिए।
- ऐसे जवानों को घोर नक्सली क्षेत्र में तैनात नहीं किया जाना चाहिए।
- इसके बावजूद, सेनानी, दूसरी बटालियन ने नियमों का पालन नहीं किया।
हाईकोर्ट का फैसला
- हाईकोर्ट ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए दिनेश ओगरे के सुकमा ट्रांसफर पर रोक लगा दी है।
- यह फैसला नक्सली हमलों में घायल जवानों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है।