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महिला सुरक्षा: बहस नहीं, अब एक्शन का समय

महिला दिवस का सही अर्थ समझें

महिलाएं कभी कमजोर नहीं थीं, न हैं और न रहेंगी। भारत में कई उदाहरण हैं जो महिलाओं के साहस, वीरता, त्याग और करुणा की कहानियां बताते हैं। अब समय बहस का नहीं, बल्कि उनके सशक्तिकरण के लिए ठोस कदम उठाने का है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025 की थीम

इस साल महिला दिवस की थीम ‘सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए: अधिकार, समानता और सशक्तिकरण’ है। इसकी शुरुआत 1910 में क्लारा जेटकिन ने की थी।

महिलाएं कभी कमजोर नहीं थीं

अगर महिलाएं कमजोर होतीं, तो झांसी की रानी, कल्पना चावला, मैरी कॉम जैसी शख्सियतें नहीं होतीं। महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, लेकिन फिर भी उनकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं।

महिला अपराधों की कड़वी हकीकत

आज भी महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं:

  1. निर्भया कांड (2012): दिल्ली में युवती के साथ हुई बर्बरता को कोई नहीं भूल सकता।
  2. कोलकाता डॉक्टर केस (2024): एक महिला डॉक्टर के साथ क्रूरता हुई।
  3. उज्जैन रेप केस (2024): सड़क पर महिला से दुष्कर्म हुआ, लेकिन किसी ने मदद नहीं की।
  4. मध्य प्रदेश में मासूमों पर अत्याचार: कई बच्चियों के साथ दुष्कर्म के भयावह मामले सामने आए।
  5. बेंगलुरु केस: एक महिला की हत्या कर शरीर के 50 टुकड़े किए गए।

महिला सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक

मध्य प्रदेश में महिलाओं की हत्या, दहेज उत्पीड़न, अपहरण और बलात्कार के मामले बढ़ रहे हैं। हालांकि छेड़छाड़ और सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में कुछ कमी आई है, लेकिन यह काफी नहीं है।

कैसे मिलेगी महिलाओं को असली स्वतंत्रता?

  • सख्त कानून: अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए।
  • सुरक्षा उपाय: सड़कों पर रोशनी, पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुरक्षा पुख्ता होनी चाहिए।
  • तकनीकी सहयोग: इमरजेंसी अलर्ट, ट्रैकिंग ऐप्स और सीसीटीवी कैमरों का सही उपयोग हो।
  • सामाजिक बदलाव: पुरुषों की मानसिकता बदलने के लिए जागरूकता जरूरी है।

महिला सशक्तिकरण का सही मायने

महिलाओं की आजादी का मतलब सिर्फ देर रात तक घूमना या धूम्रपान करना नहीं है, बल्कि शिक्षा, रोजगार, समान अवसर और कानूनी अधिकार पाना है।

साथ मिलकर मनाएं महिला दिवस

इस महिला दिवस पर सिर्फ महिलाओं को ही नहीं, बल्कि पुरुषों को भी शिक्षित करें ताकि समाज में बराबरी की नई सोच पैदा हो। जब समाज में महिलाओं की भावनाओं को समझने वाला हर कोई होगा—पिता, भाई, पति, दोस्त—तब एक नया और सुरक्षित भविष्य बनेगा।

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