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मास्टर प्लान की अनदेखी
राजस्थान में चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या भाजपा की, लेकिन मास्टर प्लान को हमेशा नजरअंदाज किया गया। सरकारों ने अपने खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए कई ऐसे फैसले लिए जो शहरों के सुनियोजित विकास के खिलाफ थे।
तीन दिन पहले कांग्रेस सरकार में नगरीय विकास मंत्री रहे शांति धारीवाल ने विधानसभा में मास्टर प्लान पर गंभीरता बरतने की बात कही। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी को लेकर भी सवाल उठाए। लेकिन हैरानी की बात यह है कि धारीवाल खुद 9 साल तक मंत्री रहे और इस दौरान भी आदेशों का पालन नहीं किया गया।
मास्टर प्लान के खिलाफ लिए गए गलत फैसले
1. सुविधा क्षेत्र में बांटे गए पट्टे
फेसेलिटी सेस (सुविधा शुल्क) लेकर कई खुले और हरित क्षेत्रों को अवैध कॉलोनियों में बदल दिया गया। पार्क, खेल मैदान, गार्डन और रिक्रिएशन एरिया में सुविधा क्षेत्र विकसित करने के बजाय वहां पट्टे देकर कॉलोनियों को वैध बना दिया गया।
- कोर्ट का आदेश: सुविधा क्षेत्रों को बहाल किया जाए ताकि शहर का विकास सही तरीके से हो।
2. भूउपयोग बदला गया
जयपुर में लोहामंडी योजना के 132 हेक्टेयर क्षेत्र को मास्टर प्लान में “रीजनल पार्क” और “आंशिक आवासीय क्षेत्र” बताया गया था। लेकिन सरकार ने इसे बदलकर “स्पेशलाइज्ड मार्केट” घोषित कर दिया।
- कोर्ट का आदेश: पर्यावरणीय और हरित क्षेत्रों के भूउपयोग में बदलाव की अनुमति नहीं दी जा सकती।
3. ऊंची इमारतों की अनुमति दी गई
सरकार ने बिल्डिंग बायलॉज में बदलाव कर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग की ऊंचाई 15 मीटर से बढ़ाकर 18 मीटर कर दी। इससे कॉलोनियों में बहुत ऊंची इमारतें बनने लगीं, जिससे सड़क, सीवर और पेयजल जैसी सुविधाओं पर दबाव बढ़ गया। अब भाजपा सरकार फिर से अधिकतम ऊंचाई 15 मीटर करने की योजना बना रही है।
- कोर्ट का आदेश: कॉलोनियों में ज्यादा बसावट और भूखंडों का पुनर्गठन नहीं किया जाना चाहिए।
इन लोगों ने की मास्टर प्लान की अनदेखी
पूर्व और वर्तमान मंत्री:
- राजपाल सिंह शेखावत
- श्रीचंद कृपलानी
- शांति धारीवाल
- झाबर सिंह खर्रा
अधिकारियों की भूमिका:
- कई प्रमुख सचिव और नगरीय विकास विभाग के अधिकारी 2017 से अब तक इस विभाग में रहे और मास्टर प्लान की अनदेखी में शामिल रहे।
निष्कर्ष
सरकारों ने शहरों के विकास की बजाय अपने करीबी लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए मास्टर प्लान में बदलाव किए। हाईकोर्ट के आदेशों की भी अनदेखी हुई। इससे न केवल अवैध निर्माण बढ़ा, बल्कि शहरों की सुविधाओं पर भी दबाव बढ़ गया। अब देखना होगा कि क्या मौजूदा सरकार इन गलतियों को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम उठाती है या नहीं।