बाड़मेर: बाड़मेर और बीकानेर की दो बेटियों ने सांसारिक जीवन छोड़कर संयम का मार्ग अपनाया। शहर के गडरारोड स्थित महावीर वाटिका में हुए पंचम पद दीक्षा महोत्सव में इन दोनों ने दीक्षा ली।
संयम का पथ अपनाया
आचार्य जिन मणिप्रभ सूरीश्वर और आचार्य जिन कलाप्रभ के सानिध्य में चित्रा पारख और सेजल बोथरा ने दीक्षा ग्रहण की। दोनों अब साध्वी अर्पणनिधि और साध्वी साहित्यनिधि के नाम से जानी जाएंगी।
- पहले ये दोनों महंगे कपड़े और गहनों में नजर आती थीं, लेकिन अब श्वेत वस्त्र पहनकर साध्वी जीवन जी रही हैं।
- दीक्षा समारोह में जैसे ही रजोहरण प्रदान किया गया, दोनों खुशी से झूम उठीं।
कौन हैं ये साध्वी?
1️⃣ साध्वी साहित्यनिधि (सेजल बोथरा, बाड़मेर)
- सेजल बाड़मेर की रहने वाली हैं।
- उनके पिता पवनकुमार बोथरा और भाई जतिनकुमार व्यापारी हैं।
- सेजल ने बीकॉम की पढ़ाई की है और 13 साल वैराग्य काल के बाद दीक्षा ली है।
- उन्होंने 5000 किमी की विहार यात्रा पूरी की।
2️⃣ साध्वी अर्पणनिधि (चित्रा पारख, बीकानेर)
- चित्रा बीकानेर की रहने वाली हैं।
- उनके पिता सुनील पारख लेखक और संगीतकार हैं।
- उन्होंने एमकॉम की पढ़ाई की है और चार साल वैराग्य काल के बाद दीक्षा ली है।
- उन्होंने भी 5000 किमी की विहार यात्रा की।
अन्य आयोजन भी हुए
- पंचम पद दीक्षा महोत्सव समिति और बोथरा परिवार ने दीक्षा महोत्सव में सहयोग करने वालों को सम्मानित किया।
- आचार्य जिन मणिप्रभ ने कहा कि संयम का मार्ग अपनाने के लिए कई जन्मों के पुण्य जरूरी होते हैं।
बाड़मेर और बीकानेर की ये बेटियां अब साध्वी जीवन जीते हुए आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ेंगी।