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ट्रेन की टिकट के पैसे, लेकिन नहीं मिलती रसीद
शहर के ईएलसी चौक स्थित एकता पार्क में चल रही टॉय ट्रेन में घोटाले का मामला सामने आया है। इस ट्रेन का किराया 10 और 20 रुपए है, जिसे लोग चुकाते तो हैं, लेकिन बदले में उन्हें टिकट नहीं दी जाती।
निगम के कर्मचारी ही कर रहे हेराफेरी
ट्रेन का संचालन कोई निजी एजेंसी नहीं कर रही, बल्कि नगर निगम के कर्मचारी ही इसे चला रहे हैं। ट्रेन की कमाई हर दूसरे दिन नगर निगम के कोषालय में जमा की जाती है, लेकिन केवल कटी हुई टिकटों के हिसाब से ही पैसे जमा होते हैं।
बिना टिकट पैसे लेने का खेल
पत्रिका की टीम ने जब एक कर्मचारी से पूछा कि बिना टिकट पैसे क्यों लिए जा रहे हैं, तो उसने मरम्मत के खर्च का बहाना बनाया। जबकि, बड़ी मरम्मत का खर्च नगर निगम उठाता है, और छोटी मरम्मत का पैसा कर्मचारी खुद लगाते हैं, जिसकी फाइल बनाकर बाद में निगम से पैसा ले सकते हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी?
- पार्क सुपरवाइजर दिमागचंद डेहरिया का कहना है कि यात्रियों को टिकट देना अनिवार्य है, खुद से पैसे लेना गलत है।
- पार्क प्रभारी शिव पंद्राम ने बताया कि हर यात्री को टिकट दिया जाना चाहिए और कोषालय में गिनती के हिसाब से राशि जमा की जानी चाहिए।
निष्कर्ष
टॉय ट्रेन में नगर निगम को चूना लगाया जा रहा है। अगर टिकट की सही तरीके से गिनती और जांच हो, तो घोटाले को रोका जा सकता है। नगर निगम को इस मामले की सख्ती से जांच करनी चाहिए, ताकि जनता के पैसे का सही इस्तेमाल हो सके।