राजस्थान में अगले साल के अंत तक ट्रेनें 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेंगी। इससे रेल दुर्घटनाओं में कमी आएगी और आपराधिक घटनाओं पर भी रोक लगेगी। रेलवे ने ट्रैक को सुरक्षित बनाने के लिए काम शुरू कर दिया है।
ट्रैक पर आपराधिक प्रवृत्ति के लोग संदिग्ध वस्तुएं रख देते हैं, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं। इसके अलावा, मवेशियों के टकराने की घटनाएं भी आम हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए रेलवे अब ट्रैक के दोनों ओर 5-6 फीट ऊंची दीवार बना रहा है, ताकि ट्रैक सुरक्षित रहे। उत्तर पश्चिम रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि मुख्य रेलमार्गों जैसे दिल्ली-अहमदाबाद (वाया जयपुर), रेवाड़ी-पालनपुर, और अजमेर-चित्तौड़गढ़ रूट पर 1500 किलोमीटर तक फेंसिंग की जाएगी। अब तक 500 किलोमीटर से अधिक ट्रैक पर यह काम हो चुका है और अगले साल तक पूरा हो जाएगा।
वंदेभारत ट्रेनें फुल स्पीड से दौड़ेंगी वर्तमान में ट्रेनों की अधिकतम रफ्तार 110-130 किलोमीटर प्रति घंटा है। फेंसिंग के बाद वंदेभारत जैसी सेमी हाईस्पीड ट्रेनें 160 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ सकेंगी। इससे दुर्घटनाओं का खतरा कम होगा और यात्री कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंच पाएंगे।
तकनीकी उपाय भी किए जा रहे हैं ट्रैक को सुरक्षित बनाने के लिए रेलवे हॉट एक्सेल बॉक्स डिटेक्टर, कवच प्रणाली जैसी तकनीकी डिवाइस का भी उपयोग कर रहा है। इससे रेल दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। उत्तर पश्चिम रेलवे जोन में विद्युतीकरण का काम भी लगभग पूरा हो गया है, जिससे ट्रेनें अब पूरी गति से दौड़ेंगी।
रेलवे का बयान उत्तर पश्चिम रेलवे के सीपीआरओ, कैप्टन शशिकिरण ने बताया कि ट्रैक को सुरक्षित बनाने और स्पीड बढ़ाने के लिए फेंसिंग का काम पिछले छह महीनों से चल रहा है। अब तक 500 किलोमीटर से अधिक ट्रैक पर यह काम पूरा हो चुका है और इसे व्यस्ततम रूटों पर प्राथमिकता दी जा रही है।