दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण का असर केवल श्वसन तंत्र पर ही नहीं, बल्कि पाचन तंत्र पर भी हो रहा है। इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS), इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD), और क्रोन डिजीज जैसी समस्याएं वायु प्रदूषण के कारण बढ़ रही हैं।
दिल्ली में गंभीर वायु प्रदूषण
दिल्ली-एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बेहद खराब स्थिति में पहुंच गया है। कई इलाकों में AQI 400 के पार है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है।
पाचन तंत्र पर प्रदूषण का प्रभाव
प्रदूषित हवा में मौजूद हानिकारक तत्व सांस के जरिए शरीर में जाकर पाचन तंत्र को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ता है, जो पाचन तंत्र में सूजन और अन्य समस्याएं पैदा करता है।
बच्चों और बुजुर्गों पर विशेष प्रभाव
बच्चों और बुजुर्गों पर प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर पड़ता है। बच्चों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं होता, जिससे वे जल्दी प्रभावित होते हैं। वहीं, बुजुर्गों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, जिससे वे भी अधिक संवेदनशील होते हैं।
अध्ययनों के निष्कर्ष
अध्ययनों में पाया गया है कि वायु प्रदूषण में मौजूद सूक्ष्म धूल और रसायन पाचन तंत्र में जाकर उसकी प्रक्रिया को बिगाड़ सकते हैं। इससे आंत के माइक्रोबायोटा में असंतुलन पैदा होता है, जिससे IBS और अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
प्रदूषण से बचने के उपाय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण से बचने के लिए ये सावधानियां अपनाई जा सकती हैं:
- मास्क पहनें: N-95 या बेहतर गुणवत्ता वाला मास्क पहनें।
- स्वस्थ आहार लें: एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन से भरपूर आहार लें।
- भीड़भाड़ से बचें: ज्यादा प्रदूषण वाले इलाकों में जाने से बचें।
- घर के अंदर रहें: सुबह और शाम के समय बाहर जाने से बचें।
दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण न केवल श्वसन और हृदय रोगों को बढ़ा रहा है, बल्कि पाचन तंत्र पर भी इसका बुरा असर हो रहा है। हमें अपनी सेहत की रक्षा के लिए प्रदूषण से बचाव के उपाय अपनाने चाहिए और सरकार को भी प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।