छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयुष्मान भारत योजना के तहत निजी अस्पतालों को करीब 1400 करोड़ रुपये का भुगतान दो महीने से नहीं मिला है। इस कारण से अस्पतालों में मरीजों का फ्री इलाज देने में दिक्कतें आ रही हैं। खासकर आंबेडकर और डीकेएस अस्पताल जैसी प्रमुख स्वास्थ्य सुविधाओं का भुगतान भी अभी तक नहीं हुआ है।
अस्पतालों के अधिकारियों का कहना है कि आखिरी पेमेंट सितंबर महीने में हुआ था, उसके बाद से कोई राशि नहीं आई है। इससे अस्पतालों के संचालन में परेशानी हो रही है और आने वाले समय में इलाज से इनकार करने की स्थिति बन सकती है।
प्रदेश में शहीद वीरनारायण सिंह स्वास्थ्य योजना के तहत बीपीएल (गरीब) परिवारों को सालाना 5 लाख रुपये और एपीएल (सामान्य) परिवारों को 50 हजार रुपये तक का फ्री इलाज मिलता है। हालांकि, अब तक कोई भुगतान नहीं होने से अस्पतालों में संकट बढ़ गया है।
यहां तक कि दिवाली के दौरान भी सरकारी और निजी अस्पतालों को कोई राशि नहीं दी गई, जिससे अस्पतालों को वेंडर्स और कर्मचारियों के वेतन में दिक्कतें आईं। कुछ अस्पताल अब कैश से इलाज करने की बात कर रहे हैं, जबकि गरीब मरीजों के पास पैसे नहीं होते, और उन्हें सर्जरी जैसी महंगी चिकित्सा सेवाएं प्राप्त करने में समस्या हो रही है।
आंबेडकर अस्पताल में डॉक्टरों को भी उनकी दिवाली इंसेंटिव राशि अभी तक नहीं मिली है। विशेषकर कार्डियोलॉजी, कार्डियक सर्जरी, ईएनटी और रेडियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों का इंसेंटिव रुका हुआ है। इन विभागों के डॉक्टरों को लाखों रुपये का इंसेंटिव मिलना था, लेकिन भुगतान न होने के कारण उनका इंतजार लंबा होता जा रहा है।
स्वास्थ्य निदेशक ऋतुराज रघुवंशी चुनाव ड्यूटी पर बाहर हैं, जबकि उनकी अनुपस्थिति में प्रभारी स्वास्थ्य निदेशक एनएचएम के एमडी हैं, जिन्हें वित्तीय प्रभार नहीं है। इसका असर अस्पतालों के भुगतान पर पड़ा है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि रघुवंशी के 25 नवंबर को लौटने के बाद ही भुगतान हो सकता है। तब तक अस्पतालों को इंतजार करना होगा।
अस्पतालों का कहना है कि जब तक भुगतान नहीं मिलता, तब तक उन्हें मजबूरन कैश से इलाज करना पड़ेगा, और साथ ही अस्पतालों का कहना है कि उचित और समय पर भुगतान की व्यवस्था की जाए।