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कोटा, राजस्थान: कोटा शहर की कोचिंग इंडस्ट्री से जुड़े डेढ़ लाख लोग इस साल बच्चों की कम संख्या से प्रभावित हुए हैं। कोचिंग, हॉस्टल, प्रशासन और पुलिस सभी मिलकर बच्चों को कोटा बुलाने के लिए विभिन्न उपाय कर रहे हैं। अब कोटा में बच्चों को बेहतर अनुभव देने के लिए कई नवाचार किए जा रहे हैं।
कोटा की कोचिंग सिटी को लेकर लोगों में धारणा बन गई थी कि यह महंगा शहर है और यहां सुसाइड का माहौल है। लेकिन हाल ही में हुए सर्वे में सामने आया कि ये बातें सही नहीं हैं। कोटा महंगा नहीं है और यहां सुसाइड के मामलों में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। इसके बाद, कोटा को फिर से आकर्षक बनाने के लिए कई पहल की जा रही हैं।
कोटा आने के लिए किए जा रहे नवाचार:
- कोचिंग संस्थानों में फन एक्टिविटी, चम्बल रिवर फ्रंट और सिटी पार्क जैसी जगहों पर आउटिंग करवाई जा रही हैं।
- कोचिंग छोड़ने के बाद फीस रिफंड पॉलिसी लागू की जा रही है।
- कोचिंग संस्थानों में स्कॉलरशिप और अफॉर्डेबल फीस स्ट्रक्चर बनाए जा रहे हैं।
- कोटा में बच्चों से संवाद करने के लिए कलक्टर और एसपी द्वारा कोचिंग में नियमित रूप से दौरे किए जा रहे हैं।
- “कोटा-सेफ्टी ऑफ स्टूडेंट्स” (K-SOS) एप में पैनिक बटन के जरिए बच्चों को त्वरित मदद मिल रही है।
- जिला प्रशासन बच्चों के लिए यूनिक आईडी तैयार करवा रहा है।
- हॉस्टल और पीजी वाले सोशल मीडिया कैम्पेन चला कर कोटा की सुरक्षित और सस्ती छवि दिखा रहे हैं।
- होटल और पर्यटन व्यवसायी स्टूडेंट टूरिज्म को प्रमोट कर रहे हैं।
सुखद बात यह है कि कोटा की पढ़ाई और यहां के परिणामों पर कोई सवाल नहीं उठाए गए हैं। हर साल कोटा से अच्छे परिणाम सामने आते हैं और बच्चों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अब कोचिंग संस्थान बच्चों को बेहतर तरीके से पढ़ाने के लिए टॉपिक एक्सपर्ट टीचर्स तैयार कर रहे हैं, जो बच्चों को विशेष रूप से समझाने में मदद कर रहे हैं।