भोपाल। मध्यप्रदेश कृषि और दुग्ध उत्पादन में तेजी से आगे बढ़ रहा है। जैविक खेती में एमपी देशभर में सबसे आगे है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य को “फूड बास्केट” बनाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि भोपाल में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) में किसानों के लिए 4,000 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जिससे प्रदेश में हरित और श्वेत क्रांति को बढ़ावा मिलेगा।
किसानों को होगा बड़ा फायदा
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निवेश किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद करेगा। खाद्य प्रसंस्करण और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नए प्रोजेक्ट शुरू किए जाएंगे। इससे किसानों को अपने उत्पादों का बेहतर दाम मिलेगा और वे आर्थिक रूप से मजबूत होंगे।
जैविक खेती में एमपी सबसे आगे
मध्यप्रदेश पहले ही देश का सबसे बड़ा जैविक खेती वाला राज्य बन चुका है। देश की कुल जैविक खेती में एमपी का 40% योगदान है। राज्य में अब इसे 17 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 20 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है।
उद्यानिकी और दूध उत्पादन में तेजी
- उद्यानिकी फसलों का रकबा 27 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 32 लाख हेक्टेयर हो गया है।
- दूध उत्पादन में एमपी देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो चुका है।
- एमपी के सांची ब्रांड ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान बनाई है।
- प्रदेश में रोज 591 लाख किलो दूध उत्पादन हो रहा है, जिससे एमपी देश का तीसरा सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राज्य बन गया है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में बड़ा निवेश
प्रदेश में 8 फूड पार्क, 2 मेगा फूड पार्क, 5 एग्रो-प्रोसेसिंग क्लस्टर और 1 लॉजिस्टिक्स पार्क बनाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण योजना के तहत 930 करोड़ रुपए की सहायता राशि स्वीकृत हुई है।
सिंचाई सुविधाओं में बड़ा विस्तार
प्रदेश में सिंचित भूमि का क्षेत्रफल तेजी से बढ़ा है।
- 2003 में केवल 3 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित थी, जो अब 50 लाख हेक्टेयर हो गई है।
- सरकार का लक्ष्य इसे 2028-29 तक 1 करोड़ हेक्टेयर तक बढ़ाने का है।
8,000 से ज्यादा रोजगार के मौके
GIS-भोपाल में “सीड-टु-शेल्फ” थीम पर निवेशकों के साथ चर्चा हुई। इसमें कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और दुग्ध उत्पादन में 4,000 करोड़ के निवेश प्रस्ताव रखे गए। इससे 8,000 से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे और किसानों को अपने उत्पाद का बेहतर मूल्य मिलेगा।
एमपी को “फूड बास्केट” बनाने की तैयारी
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हरित और श्वेत क्रांति को बढ़ावा देने के लिए यह निवेश बहुत अहम है। यह कदम मध्यप्रदेश को देश का “फूड बास्केट” बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।