अग्यारा बांध में एमआईए की फैक्ट्रियों का रसायनयुक्त पानी पहुँचने से आसपास के 20 गांवों के लोगों का जीवन दूभर हो गया है। दूषित पानी के कारण लोगों को दुर्गंध से सांस लेना भी मुश्किल हो गया है और उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
क्या हो रहा है: मत्स्य औद्योगिक क्षेत्र में 70 फैक्ट्रियां रात के अंधेरे में केमिकल युक्त पानी रीको के नाले में छोड़ रही हैं, जो बाद में अग्यारा बांध में पहुँच जाता है। इससे न केवल जमीन बंजर हो रही है, बल्कि भूजल भी पीने लायक नहीं बचा है। पिछले एक साल में अग्यारा गांव में कैंसर के कारण 5 लोगों की मौत हो चुकी है और 2 लोग अभी कैंसर से जूझ रहे हैं।
दूषित पानी का असर: अग्यारा बांध में रसायनयुक्त पानी जाने के कारण बांध का पानी अत्यधिक प्रदूषित हो चुका है, जिससे भूमि और भूजल पर गंभीर असर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि मिट्टी में प्रदूषण इतनी गहराई तक घुस चुका है कि इसे सुधारने में 200 साल लग सकते हैं। नालों में केमिकल की गाद जमा हो गई है, जिसकी बदबू से आसपास के गांवों में रहना भी कठिन हो गया है। इस प्रदूषण से लोग त्वचा की खुजली, आंखों में जलन और सांस संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
सैंपलिंग और कार्रवाई की जरूरत: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और रीको विभाग को हर महीने फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी के सैंपल लेने चाहिए, ताकि समय पर प्रदूषण की जांच की जा सके और दोषी फैक्ट्रियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके। हालांकि, विभाग केवल हर तीन महीने में सैंपल लेता है, और रिपोर्ट भी देर से आती है।
फैक्ट्रियों का बयान: एमआईए के उद्योगों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगे हुए हैं, और इन फैक्ट्रियों से केमिकल युक्त पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। यह पानी आसपास के गांवों और अस्पतालों से आ रहा है, जो अंततः अग्यारा बांध में पहुंचता है।
प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों ने कहा है कि नाले में केमिकल युक्त पानी छोड़ने वाली फैक्ट्रियों की जांच की जाएगी।