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नींद न केवल हमारे शरीर के लिए बल्कि मस्तिष्क के विकास और कार्यक्षमता के लिए भी बेहद जरूरी है। हालिया शोध में यह पता चला है कि हल्की नींद (एनआरईएम) मस्तिष्क की क्षमताओं को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है।
नींद और मस्तिष्क का संबंध
राइस यूनिवर्सिटी, ह्यूस्टन मेथोडिस्ट सेंटर और वेइल कॉर्नेल मेडिकल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने नींद और मस्तिष्क के गहरे संबंध पर अध्ययन किया। शोध में पाया गया कि हल्की नींद के दौरान मस्तिष्क की सूचना संग्रह और प्रसंस्करण (इन्कोडिंग) क्षमता बढ़ जाती है।
कैसे तेज होता है मस्तिष्क?
- नींद के दौरान मस्तिष्क की न्यूरोनल गतिविधियां बदल जाती हैं।
- न्यूरॉन्स ज्यादा स्वतंत्र होकर काम करते हैं।
- इससे मस्तिष्क की जानकारी को समझने और दृश्य कार्यों को बेहतर तरीके से करने की क्षमता बढ़ती है।
नींद न लेने पर क्या होगा?
राइस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वैलेन्टिन ड्रागोई ने बताया कि कुछ लाभ, जैसे मस्तिष्क की मरम्मत और प्रदर्शन में सुधार, भविष्य में बिना सोए भी न्यूरो-मॉड्यूलेशन तकनीकों से हासिल किए जा सकते हैं।
नींद क्यों है जरूरी?
शोध की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. नताशा खरास का कहना है कि नींद के दौरान मस्तिष्क आराम करता है, ऊर्जा इकट्ठा करता है और क्षमताओं को बढ़ाता है। यह न केवल मानसिक शांति देता है बल्कि मस्तिष्क को तेज भी बनाता है।
शोध के प्रमुख निष्कर्ष
- नींद मस्तिष्क की जानकारी प्रसंस्करण और दृश्य कार्यों की सटीकता को बढ़ाती है।
- अच्छी नींद लेने वालों में यह सुधार अधिक देखने को मिलता है।
- हल्की नींद मस्तिष्क संबंधी विकारों के नए उपचार की संभावनाएं भी खोलती है।
निष्कर्ष
नींद केवल आराम करने का जरिया नहीं है बल्कि मस्तिष्क की ऊर्जा और क्षमता को बढ़ाने का एक बेहतरीन तरीका है। यह शोध नींद की महत्वता को समझने और मानसिक स्वास्थ्य सुधारने की दिशा में बड़ा कदम है।