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क्या पैरासिटामोल से लिवर को नुकसान हो सकता है?
पैरासिटामोल, जो आमतौर पर बुखार और दर्द से राहत के लिए लिया जाता है, लिवर (जिगर) पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. शिव कुमार सरिन के अनुसार, पैरासिटामोल की अधिक मात्रा लिवर फेल्योर (लिवर की विफलता) का प्रमुख कारण बन सकती है, खासकर अमेरिका और लंदन में।
पैरासिटामोल की कितनी मात्रा सुरक्षित है?
डॉ. सरिन के मुताबिक, दिन में 2-3 टैबलेट तक पैरासिटामोल का सेवन सुरक्षित होता है। हर बार आधी टैबलेट लेना बेहतर है। इससे ज्यादा सेवन लिवर पर अनावश्यक दबाव डाल सकता है और गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
लिवर: शरीर का “बॉस”
लिवर शरीर का महत्वपूर्ण अंग है, जो भोजन को पचाने, विषाक्त पदार्थों को निकालने और रक्त संचार को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह शरीर के दाईं ओर, पसलियों के नीचे स्थित होता है। लिवर स्वस्थ रहेगा, तो शरीर भी स्वस्थ रहेगा, इसलिए इसकी देखभाल करना जरूरी है।
डायबिटीज और लिवर का संबंध
डॉ. सरिन बताते हैं कि जब लिवर में वसा जमा हो जाती है, तो इंसुलिन का प्रभाव कम हो जाता है, जिससे शरीर में शुगर का संतुलन बिगड़ सकता है। इस स्थिति में पैंक्रियास पर अधिक दबाव पड़ता है और धीरे-धीरे वह थकने लगता है, जिससे डायबिटीज हो सकती है।
फैटी लिवर: क्यों और कैसे?
फैटी लिवर तब होता है जब हम जरूरत से ज्यादा कैलोरी लेते हैं और शरीर उन कैलोरी को ऊर्जा के रूप में उपयोग करने की बजाय लिवर में वसा के रूप में जमा कर देता है। सामान्य स्थिति में, अगर लिवर में वसा का प्रतिशत 5% से कम है, तो उसे सामान्य माना जाता है। 5% से अधिक वसा लिवर के लिए हानिकारक हो सकती है।
फैटी लिवर से बचाव के उपाय
- संतुलित आहार लें।
- नियमित व्यायाम करें।
- शरीर के वजन को नियंत्रित रखें।
लिवर का ध्यान रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। पैरासिटामोल का सीमित उपयोग और फैटी लिवर जैसी स्थितियों से बचाव करना जरूरी है। डॉ. सरिन के शब्दों में, “जिगर स्वस्थ रहेगा, तो शरीर भी स्वस्थ रहेगा।”