जालौर। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के मोबाइल एप में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। इस गड़बड़ी के कारण एक बार श्रमिक की हाजरी एप में लगने के बाद उसे बदला नहीं जा सकता। भले ही श्रमिक कार्यस्थल पर मौजूद न हो, लेकिन उसका भुगतान फर्जी हाजरी के आधार पर हो जाता है।
फर्जी हाजरी हटाने में असमर्थ अफसर
- ऑनलाइन हाजरी में बदलाव संभव नहीं:
मेट (कार्य स्थल प्रबंधक) द्वारा एक बार ऑनलाइन हाजरी एप में दर्ज करने के बाद, अधिकारी उसे अनुपस्थित के रूप में अपडेट नहीं कर सकते। - निरीक्षण के दौरान भी बेबस अफसर:
यदि निरीक्षण के समय श्रमिक कार्यस्थल पर अनुपस्थित है, तो भी एप की हाजरी हटाई नहीं जा सकती।
सिस्टम के फर्जीवाड़े से नुकसान
- गलत भुगतान:
श्रमिक को उसकी वास्तविक उपस्थिति के बजाय एप में दर्ज फर्जी हाजरी के अनुसार भुगतान किया जा रहा है। - निरीक्षण महज औपचारिकता:
अफसरों द्वारा किए गए निरीक्षण केवल कागजों में सीमित रह गए हैं, क्योंकि मोबाइल एप में दर्ज डेटा में बदलाव संभव नहीं। - बैंक खाते में सीधा भुगतान:
श्रमिकों को ऑनलाइन हाजरी के आधार पर सीधा बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं, चाहे वे काम पर आए हों या नहीं।
शिकायतों के बावजूद सुधार नहीं
पंचायतीराज के अधिकारियों ने मनरेगा एप की खामियों को लेकर कई बार उच्च अधिकारियों और मंत्रालय को शिकायतें भेजी हैं। इसके बावजूद अभी तक एप में कोई सुधार नहीं हुआ है।
रमेश शर्मा, विकास अधिकारी, पंचायत समिति, भीनमाल, ने कहा कि गड़बड़ियों को रोकने के लिए बार-बार पत्राचार किया गया, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया।
फर्जीवाड़े के कारण उठ रहे सवाल
मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना में ऐसी खामियों से न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि श्रमिकों की वास्तविक जरूरतों को भी प्रभावित किया जा रहा है। इन गड़बड़ियों को रोकने के लिए तुरंत सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है।